पाचन तंत्र की क्रियाविधि “Digestive system class 4” lucent’s book

सबसे अधिक महत्व मनुष्य या किसी भी जीव जन्तु शरीर में पाचन तंत्र का होना अति आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा ही हम मुख द्वारा लिए गए भोजन को अपने शरीर के भीतर प्रवेश करके भोजन मे उपस्थित पोषक तत्वों को शरीर मे ऊर्जा के रूप मे अर्जित करते हैं तथा अपशिष्ट पदार्थों शरीर को बाहर निकालते है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया पाचँन तंत्र द्वारा संभव हो पाती हैं।

Digestive system class 4

चलये इस क्रिया को ठीक प्रकार से समझते है।


जीवो में भोजन को पचाने का काम केवल एक अंग या ग्रंथि द्वारा नहीं होता, इसमें अलग-अलग अंग और ग्रंथियां काम करती हैं जिसके बाद भोजन शरीर में पूरी तरह पाचन (Digeste) हो पाता है विज्ञान ने इसको निम्नलिखित रूप में विभाजित किया गया है….

मनुष्य शरीर का पाचन तंत्र (Digestive system class 4)


प्रत्येक जीव-जंतु या मनुष्य में भोजन को मुख द्वारा चबाने की प्रक्रिया और उस भोजन को निगलने की प्रक्रिया भी जीवो में समान रूप से होती है।
जब हम भोजन को निगल लेते हैं तो वह भोजन हमारे ग्राही से ग्रासनली (Oesophagus) द्वारा सीधे हमारे आमाशय (Stomach) में जाकर जमा हो जाता है आमाशय में एक प्रकार की थैली जुड़ी होती है जिसको हम पित्ताशय (Gall Bladder) कहते हैं ।
अत: भोजन को चबाने और भोजन को निगलने और निकले हुए भोजन को पचाने तथा अपचे भोजन को शरीर से बाहर निकालने की पूरी प्रक्रिया को हम पाचन तंत्र (Digestive System) कहते हैं, मनुष्य के पाचन तंत्र या आहार नाल मे समृद्ध ग्रंथियां होती हैं इन ग्रंथियां के द्वारा भोजन आहार नाल मे पचने की यह पूरी प्रक्रिया संभव हो पाती है।

यह भी पढ़े… हृदय क्या है और यह कैसे कार्य करता है ?

मनुष्य की पाचन तंत्र में आहार नाल का कार्य


   मनुष्य पेट के भीतर उपस्थित आहार नाल की लंबाई लगभग 9 से 11 मीटर लंबी होती है जो विभिन्न भागों होते हुए, इनमें उपस्थित चारों तरफ का व्यास अलग -2 होता है, आहार नाल को हम निम्नलिखित रूप से मुख्य भागों में हम बांट सकते हैं।

1.मुख और मुख गुहिका
2.ग्रसनी
3.ग्रासनली
4.आमाशय
5.छोटी आंत
6.बड़ी आंत।

इन सभी भागो को हम विस्तार पूर्वक समझते हैं।

मुख एवं मुखगुहा तथा उसके साथ जुड़ी ग्रसनी


मुख (Face) के सामने से दो होठों के बीच में एक मुहँ (Mouth) अंदर की ओर खुलता है, जिसको हम मुखगुहा बोलते हैं यह मुखांग् है जिनमे भोजन को छोटे-छोटे भागों में तोड़ने या पीसने के लिए हड्डियों से बना दांत (Teeth) होते है मनुष्य में दांतों की संख्या 32 (बत्तीस) होती हैं!

प्रत्येक मनुष्य के जबड़े पर समान रूप से

  • >दो जोड़ी कृन्तक होते है
  • >फिर एक- एक रद्नक ऊपर की तरफ
  • >दो-दो अग्र चवर्णक होते है
  • >उसके पश्चात तीन-तीन चवर्णक होते हैं
  • >अग्र चवर्णक और चवर्णक को दाढ कहते हैं।

मनुष्य के दांतों के प्रकार उनकी संख्या और उनके कार्य को हम निम्नलिखित रूप से इस तालिका में के द्वारा समझते हैं।

मनुष्य के जबड़े की बात करें _ तो जबड़े की संख्या में यह दो जोड़ी कृन्तक जो भोजन को कुतरने का काम करता है, रदनक एक जोड़ी जो भोजन को पकड़ना या चीरने का काम करता है, अग्र चवर्णक दो जोड़ी भोजन को चबाना या फिर उसे पीसने का काम करता है,चवर्णक तीन जोड़ी जो केवल भोजन को दबाने का काम करते हैं।

यह भी पढ़े.. Kidney के क्या कार्य है वह किस प्रकार काम करता है?

मनुष्य मुख में जिव्हा के कार्य


मनुष्य के मुख के तालू पर एक जीभ (Tongue) होता है जो भोजन के स्वाद का अनुभव प्रदान करता है यदि आप भोजन में नमक की मात्रा लेते हैं तो आपके जिव्हा को इसका आभास प्रतीत होता है, यदि आप जिव्हा में तीखा (Spicy) भोजन ले रहे हैं तो यह आपके जिव्हा को इसका आभास होगा। अतः भोजन चबाते समय उसको उलटने पलटने का काम भी मुख के अंदर स्थित जिव्हा का ही होता है इसके अलावा उसमें लार को मिलने में भी वह सहायता करता है जिस कारण भोजन में चिकनाहट आ जाती है और वह गले की ग्रासनली द्वारा आराम से पेट की आमाशय में जा- पाता है।

(Digestive System class 4)

ग्रसनी के कार्य


मुहुँ के भीतर मुखगुहा के पीछे वाले भाग को हम ग्रसनी कहते हैं मुखगुहा की दीवारों में लार को उत्पन्न करने वाली ग्रंथियां होती हैं जिस समय भोजन का सेवन करते हैं उसे समय यह ग्रंथियां स्वयं ही अपने भीतर से लार को स्रावित कर देता हैं मुखगुहा के ऊपरी भाग को हम तालु कहते हैं।

मुखतालु के कार्य


यह तालु भोजन को चारों ओर घूमने में उलट-पुलट में सहायता प्रदान करता है।

ग्रसनी

ग्रसनी में भीतर एकदम अंदर की और एक बड़ा छिद्र होता है जिसको हम निगलने वाला द्वार बोलते हैं यह भोजन को निगलने का काम करता है, इसके द्वारा ग्रासनली से ग्रसनी में यह खुलता है इसके करीब ही श्वास दो छिद्र घाटी द्वार से  होते हुए मुहुँ के अंदर तालु के पास खुलता हैं।
   इसके सामने ऊपर से एक प्रकार का मुलायम घंटीनुमा तालु लटका रहता है जिसे यूवुला (uvula)कहते हैं, इसी प्रकार जीभ के अंतिम सिरे पर पीछे की ओर निगलने वाला द्वारा के आसपास  टॉन्सिल (Tonsils) नमक फूले हुए स्थान से चिपका रहता है।

ग्रासनली में भोजन नली द्वार के कार्य


ग्रासनली यह 25 सेंटीमीटर लंबी नली होती है और इसका कार्य दो प्रकार से काम करने का होता है पहले तो यह मुख् द्वारा भोजन को निगलकर, इसे ग्रासनली के माध्यम से आमाशय तक पहुंचाने का काम करता है दूसरा इस मुखगुहा से श्वसन को फेफड़ों तक पहुंचाने का काम भी यह ग्रासनली के द्वारा ही संभव हो पाता है। ग्रासनली श्वसन नली के नीचे स्थित होता है और यह मध्य छद (Diaphragm)को भेदकर उदर गुहा में स्थित आमाशय (Stomach) में खुलता है।

(Digestive System class 4)

आमाशय


मनुष्य में आमाशय की लंबाई और चौड़ाई की बात करें तो इसकी लंबाई 25 से 30 सेंटीमीटर की होती है और चौड़ाई 7 से 10 सेंटीमीटर तक की होता है यह देहगुहा में बाई तरफ हृदय के पास ही स्थित होता है इसको हम सामान्य भाषा में कॉर्डियल छिद्र (Cardiac Opening) कहते हैं भोजन नली का सबसे अंतिम शिरा आमाशय मे होकर जुड़ा होता है जिससे भोजन को आमाशय में पहुंचने का काम करता है आमाशय के दूसरी तरफ सिरे की ओर पाईलोरिक सिरा (Pyloric End) जिनको बोला जाता है जो एक सिरे पर बड़ा किंतु दूसरे सर पर संकरा प्रकार का होता है इसके मुख्य सिरे पर स्थित छिद्र को पाईलोरिक छिद्र (Pyloric Opening) कहते हैं आमाशय के भीतर एक मोटी परत और श्लेष्म कला का आवरण लगा होता है जिसमे बहुत-सी आमाश्यिक ग्रंथियां  होती है, यह आमाश्यिक ग्रंथियां मे तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं …

पेप्टिक कोशिकाएँ


यह कोशिका शरीर मे पाचन एंजाइम का स्त्राव करती हैं जिस कारण भोजन आराम से पच जाता है।

ऑक्जेटिक कोशिकाएँ


यह कोशिका जो केवल HCL का स्त्राव करती हैं।भोजन को विभाजित करने का काम करती हैं।

म्यूकस कोशिकाएँ


यह कोशिका जो केवल म्यूकस का निर्माण करती हैं इसमें आमाशय के अंदर भोजन का पाचन बराबर रूप से होता रहता है।

यह भी पढ़े… मानव मस्तिक कि पूरी संरचना और उसके कार्य ?

आमाशय के कार्य


(1) भोजन को पचाने का काम आमाशय द्वारा होता है।
(2) भोजन का संग्रह आमाशय में ही होता है
(3) भोजन को पतला और लेई जैसा बनाने का काम भी आमाशय द्वारा होता है।
(4) भोजन के साथ आए जीवाणु का नाश करने के लिए भी आमाशय द्वारा ही संभव हो पाता है।

(Digestive System class 4)

ग्रहणी के कार्य


इसकी आकृति अंग्रेजी भाषा के “C” अक्षर के समान होती है इसकी लंबाई की बात करें तो यह 25 सेंटीमीटर लंबा होता है यकृत से निकली पित्तनली तथा अग्नाशय से अग्नाशय नली, इसके नीचे निचले भाग में आकर दोनों मिलती हैं।

यकृत

यह मनुष्य की सबसे बड़ी ग्रंथि है इसका कार्य पिताश्य रस को उत्पन्न करने का होता है।

पिताश्य

यह एक प्रकार की थैली होती हैं जिसके अंदर पितरस होता है।

छोटी आंत के कार्य


यह ग्रहणी के निचले वाले भाग से प्रारंभ होना शुरू होता है तथा यह नली लगभग लंबाई मे 6 से 7 मीटर लंबाई का होता है और यह कुंडली अवस्था में उदर गुहा में बहुत अधिक स्थान को घेरते हुए पड़ी रहती है।

छोटी आंत के अंदर आंतरिक ग्रंथियां (Internal glands) होते हैं इनमें पंचाने वाले आंतरिक रस निकलता रहता है जब भोजन आमाशय से छोटी आंत में जाता है तो उसे समय यह ग्रंथियां स्वयं पाचक रस का स्राव शुरू कर देती हैं उनके भीतर में बहुत छोटे-छोटे अंगुली के आकार के रसंकुर् (Villi) होते हैं जो अवशोषण की सतह को बढ़ाने का काम करते हैं।

यह भी पढ़े… श्वास के हमारे जीवन मे क्या उपयोगिता है क्यो लेते है साँस?

(Digestive System class 4)

बड़ी आंत के कार्य


बड़ी आंत है यह छोटीआंत से अत्यधिक चौडी होती है जो मनुष्य शरीर में अपच भोजन को एक जगह इकट्ठा करने का काम करती है इसकी लंबाई लगभग 7 मीटर होती है छोटी आंत एक छोटे से थैली जैसे भाग में जाकर खुलती है इसे सीकम कहते हैं, इसका एक सिरा 7 से 10 सेंटीमीटर लंबा संकरी और बंद नलिका के रूप में एक ओर निकला रहता है इसे कृमिरूप परिशेषिका (Vermiform appendix) कहते हैं इस थैली के दूसरी तरफ लगभग एक तीन इंच चौड़ी नली जिसको कोलन कहते हैं वह निकली होती हैं जो आगे निकलने के बाद एक ओर गुहा के ऊपर उठती है, और बाद में समानांतर होकर नीचे उतरती है तथा अंत में मलाशय में जाकर खुल जाती है।

मलाशय


मनुष्य में बड़ी आंत का अंतिम हिस्सा मलाशय में जाकर खुलता है मलाशय यह सभी व्यक्तियो मे 7 से 8 इंच लम्बा होता है जो भोजन से केवल जल का ही अवशोषण को करता है अतः अपच भोजन को अपशिष्ट के रूप में शरीर से बाहर निकाल देता है।


इसके बाद मलाशय का अंतिम भाग छल्लेदार मांसपेशियों से रहित बना होता है इसके बाहर खुलने वाले छिद्र को हम गुदा द्वार कहते हैं इसके माध्यम से हमारा अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकल जाता है अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकलते समय गुदाछिद्र खुल जाता है और बाद मे गुदाछिद्र दोबारा से बंद हो जाता है।

(Digestive System class 4)

गुदाद्वार

सभी मनुष्य मे मल को त्यागने के लिए एक छिद्र होता है जिसे गुदाद्वार कहते हैं

Digestive system class 4

निष्कर्ष


मनुष्य में पाचन तंत्र की एक पूरी प्रक्रिया है जिसके द्वारा भोजन को प्रथम से लेकर अंत तक की क्रिया को अलग-अलग माध्यम से गुजर कर जाना होता है और यह पूरी प्रक्रिया को हम पाचन तंत्र पाचन क्रिया कहते हैं।

FAQ’s

पाचन तंत्र में कितने कार्य होते हैं?

पाचन तंत्र मे चार के मुख्य कार्य होते है
1- गतिशीलता
2- स्त्राव
3- पाचन
4- अवशोषण

खाना पचाने का काम कौन करता है?

खाना पचाने मे काम करते हैं – बड़ी आँत, छोटी आँत, मुहूँ, लीवर, पिताश्य सभी उपयोगी है।

पाचन तंत्र का दूसरा नाम क्या है?

जठरांत्र मार्ग

पाचन के लिए कौन सा अंग जिम्मेदार है?

पेट

प्रोटीन का पाचन कौन करता है?

आमाश्य

Leave a Comment