Kidney_वृक्क (गुर्दे) किस प्रकार कार्य करता है? | आसान शब्दों मे समझे | Total 2 Functions of The Kidney In Hindi ||

kidney_मनुष्य एवं अन्य स्तनधारियों मे मुख्य रूप से उत्सर्जी अंग एक जोड़ी (दो) वृक्क (kidneys) है। यह सामान्यतः लगभग 140 ग्राम वजन का होता है,इसमें इसके बाहरी वाले भाग को कौटैक्स (Cortex) और भीतरी वाले भाग को मेडुला (Medulla) कहते है। अगर एक किंडनी (वृक्क) की बात करे, तो इनमे लगभग पतली-2 1,30,00000 नलिकाओ के समहुओ से मिलकर बना होता है जिन्हे हम नेफ्रोंंन (Nephrons) कहते हैं। 

मनुष्य के शरीर में वृक्क(Kidney) के कार्य

वृक्क(kidney) मुख्य रूप से दो प्रकार के तंत्र (System)पर कार्य करता है!

  1. उत्सर्जन क्रिया(Emission)
  2. परासरण नियमन(Osmoregulation)

1:- उत्सर्जन क्रिया

हमारे शरीर में प्रोटीन उपापचय प्रक्रिया से जब उत्पन्न होता है तो उसमें उपस्थित अमीनो अम्ल की,जो फालतू अधिक मात्रा होती है उसको वह विएमाईनीकारण यकृत कोशिकाएं यूरिया में बदल देती हैं वृक्क के भीतर यूरिया की मात्रा अधिक हो जाती है तब उस समय वृक्क (kidney)के अंदर उपस्थित पानी में यूरिया घुल जाता है और उसके बाद वह मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है यह पूरी प्रक्रिया वृक्क के भीतर होती है।

  • स्वस्थ व्यक्ति में मूत्र की मात्रा औसतन

सामान्य रूप एक स्वस्थ व्यक्ति के मूत्र में 96% पानी, 2 ℅ लवण, 2.7% यूरिया और 0.3% यूरिक अम्ल होता है।

लेकिन जिस समय व्यक्ति किसी रोग से ग्रसित होता है या उसके कोई अंग ठीक प्रकार से कार्य नही करते,उस समय व्यक्ति के मूत्र मे स्वस्थ व्यक्ति की तुलना मे मूत्र की औसतन मात्राओं का अनुपात बदल जाता है तथापि जब व्यक्ति किसी चिकित्सक के पास जाकर अपने मूत्र का परीक्षण (Urine Test) करवाता है उसे समय उसके औसतन मात्राओं को देखकर अनुमान लगाया जाता है कि व्यक्ति किस रोग से पीड़ित हो सकता है।

  • स्वस्थ व्यक्ति में मूत्र का pH

वास्तव में जल के दो रूप होते हैं एक अम्लीय और दूसरा क्षारीय, इन दोनों को पीएच मान से पहचाना जाता है और ये अलग-अलग होते है अगर एक स्वस्थ व्यक्ति के मूत्र की बात करें तो वह अम्लीय होता है और उसका पीएच मान 6 pH होता है।

व्यक्ति के रोगी होने पर पीएच मान पर भी प्रभाव पड़ता है।

“अत: सभी जीवो मे यूरिया और दूसरे अपशिष्ट पदार्थो आदि उपापचयी उत्सर्जी उत्पादों को शरीर द्वारा बाहर निकालने के लिए किडनी ही प्रमुख् उत्सर्जी अंग है”

2:- परासरण नियमन

किसी भी जीव या जंतु के शरीर में जल की मात्रा का नियमन, उसमे उपस्थित लवणों की मात्रा के तदानुसार अनुपात मे होता है इस प्रक्रिया को हम परासरण नियमन (Osmoregulation) कहते हैं।

यह प्रक्रिया प्राकृतिक सुचारु रूप से होती है इसमें शरीर अपने हिसाब से जल और लवण को शरीर से एक निश्चित अनुपातिक मात्रा के रूप में बाहर निकलने का काम करता है।

  • मूत्र मे जल और लवण औसतन मात्रा

एक स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में औसतन 125 ml अपने वृक्क(kidney) से मूत्र निकलता है अर्थात प्रत्येक व्यक्ति एक दिन में 180 लीटर खुन का नि:स्पंद् (Filtrate) करता है इसमें से 1.45 लीटर मूत्र रोजाना शरीर मे बनता है बाकी नि:स्पंद् वापस पुन: रक्त में अवशोषित हो जाता है।

यह जल एवं लवण की प्रक्रिया जीवधारीयो मे जीवन उपरांत तक चलती रहती है।

  • वृक्क (मूत्र) रुधिर प्लाज्मा तथा ऊतक द्रव 

जब व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में जल का सेवन करता है तो उसमें रुधिर प्लाज्मा और ऊतक द्रव में लवणों की मात्रा प्रति जल की अपेक्षा के अनुपात के अनुसार बढ़ जाता है, ऐसे में वृक्क(kidney) केवल जल की थोड़ी सी मात्रा का ही पुन: शोषण कर पाता है तथा बड़ी मात्रा में तनु मूत्र उत्पन्न करते हैं।

जब कभी दुर्घटना वस रुधिर बहने या फिर किसी शारीरिक परिश्रम करने के बाद पसीने के कारण जब शरीर से पानी की कमी हो जाती है तो उसे समय शरीर में पानी की आवश्यक मात्रा को बनाए रखना अति आवश्यक होता है जिसके लिए वृक्क (kidney) अधिक जल का पुन: शोषण करना शुरू कर देता है जिसके कारण मूत्र अधिक गाढ़ा एवं कम मात्रा में बनता है।

यह भी पढ़े.. किडनी क्या है विस्तार से जाने? 

छोटे मुख्य उत्सर्जी अंग 

अन्य उत्सर्जक निम्नलिखित रूप से है जो शरीर से जल का स्त्राव करते हैं. .

  1. शरीर के रोम छिद्र द्वारा (Skin pores)
  2. सिर के बाल रोम छिद्र द्वारा (Hairs Pores)
  3. मुंह द्वारा (Mouth)
  4. मल द्वारा (Poop)

 

  1. 1.शरीर के रोम छिद्र 

हमारे पूरे शरीर के अंदर त्वचा में हल्के-हल्के छिद्र होते हैं जिनको हम रोम छिद्र बोलते हैं इनके द्वारा पसीने के रूप में पानी शरीर से बाहर स्रावित होते है।

  1. 2.सिर के बाल रोम छिद्र

सर के बालों के माध्यम से भी पसीने के रूप में पानी का स्त्राव गर्मी के मौसम में होता है।

  1. 3.मुंह द्वारा

मुंह के भीतर से भी हम थुक के रूप में शरीर के पानी को शरीर से बाहर निकालते हैं।

  1. 4.मल द्वारा

जब कोई भी जीवधारी मल त्यागता है तो उसमें भी पानी की 40% मात्रा मौजूद होती है।

यह भी पढ़े.. हेर्दय की कार्य सारणी का वर्णन

मनुष्य के अन्य उत्सर्जी अंग 

(Other Excretory Organs in Man)

वृक्कों के अलावा मनुष्य एवं सभी कशेरूकी प्राणियों में लिवर, त्वचा, फेफड़े और हमारे हाथ भी उत्सर्जन के कार्य में मदद करते हैं चलिए इसको विस्तार से जानते हैं..

यकृत (liver) :-

अध्ययनों के अनुसार यकृत कभी भी उत्सर्जन की क्रिया नहीं करता,परंतु यह उत्सर्जन की क्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जैसे-

 (a) यद्यपि यकृत एक विशेष प्रकार के एंजाइमों को उत्पन्न करता है जिसकी सहायता से NH3 (अमोनिया) और CO2 (कार्बन-डाइऑक्साइड) से यूरिया बनने की प्रक्रिया चालू होती है यह NH3 से कम हानिकारक और पानी में बहुत ज्यादा घुलनशील होता है यदि यकृत अपने इस काम को किसी प्रकार रोक दे या फिर उसमें कोई अवरुद्ध पैदा हो जाता है तो शरीर में अमोनिया की मात्रा उसे शरीर की आवश्यकता से अधिक हो जाती है जिसके परिणाम स्वरुप होगा?

(b) जब शरीर में यकृत के भीतर मृतक रेड ब्लड शैल (R.B.Cs) के हीमोग्लोबिन के टूटने पर पित्त वर्णक बनते हैं पित्त वर्णक पित्त रस के साथ आँत में पहुंचते जाते हैं और विष्टआ के साथ शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं।

त्वचा (Skin) :-

हमारे शरीर में जल की 50% मात्रा पसीने द्वारा निकल जाती है त्वचा में उपस्थित संवेदनशील ग्रंथियां रुधिर के साथ आने वाले जल लवण और कुछ मात्रा में यूरिया को अलग करके शरीर के त्वचा द्वारा बाहर पसीने के रूप में निकाल देते हैं इसका भी हमारे उत्सर्जी अंग में मुख्य काम के रूप में माना जाता है यदि इस यह ग्रंथि हमारे शरीर में उपस्थित ना हो तो हमारे अंदर शरीर के भिन्न-भिन्न भागों से रक्त शुद्ध नहीं हो पाएगा और पूरा रक्त शुद्ध ना होने की वजह से मनुष्य की मृत्यु का कारण भी बन सकता है तो इसीलिए हमारे शरीर में पसीना आना बहुत ही आवश्यक है।

फेफड़ों (Lungs) :-

मनुष्य शरीर तथा अन्य जीव धारी में CO2 का उत्सर्जन फेफड़े द्वारा होता है फेफड़ों श्वसन क्रिया के अंतर्गत रुधिर में घुली CO2 को उत्सर्जित करता है सांस छोड़ते समय और सांस लेते समय CO2 भी वायु के साथ फेफड़ों से बाहर आता है और ऑक्सीजन पुणे शरीर के भीतर प्रवेश करता है तो इन दोनों की प्रक्रिया सुचारू रूप से होती है और यह एक उत्सर्जन का मुख्य अंग भी कहलाता है।

यह भी पढ़े.. हमारे शरीर फेफड़ों की क्रिया विधि क्या है?

Conclusion (निष्कर्ष) 

इस आर्टिकल द्वारा हमने पाया कि हमारा उत्सर्जन तंत्र किस प्रकार काम में करता है इसकी आंतरिक और बाह्य संरचना का प्रारूप क्या है और सभी अंग किस प्रकार आपस मे जुड़े है हमारे शरीर से जल का उत्सर्जन किस प्रकार होता और किस प्रकार शरीर पसीने या मूत्र द्वारा कैसे बाहर निकलता है !

यह आर्टिकल आपको कैसा लगा आप कमेंट करके हमें बताएं और भी बहुतसारी रोचक जानकारी जानने के लिए इस वेबसाइट पर क्लिक करें www.drbiogksci.com

यह भी पढ़े.. जीव विज्ञान क्या है जीवधारियों को वर्गीकृत करे? 

Leave a Comment