[Allintitle1] हृदय चक्र की क्रियाविधि || आलिंद-निलय आसान भाषा मे वर्णन |

1-हृदय मे आलिँदो-निलयो के कार्य 

अशुद्ध रक्त को साफ करना और शुद्ध रक्त को पूरे शरीर में भेजने का काम आलिंद-निलय(Auricle-Ventricle) का होता है यह कार्य आलिंद-निलय हृदय के भीतर सब समय करता रहता है।

2-हृदय में आलिँद-निलय किस प्रकार कार्य करते हैं विस्तार रूप से जाने:-

पिछले आर्टिकल में हमने जाना कि हृदय क्या है और यह कैसे कार्य करता है आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि हृदय के भीतर आलिंद(Auricle) और निलय(Ventricle) किस प्रकार रक्त को शरीर में पहुंचने का काम करते है|

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तो चलिए शुरू करते हैं_

  1. 1.हृदय के भीतर की आंतरिक संरचना

 तिकोने मार्शल वाले मनुष्य हृदय की रचना ऊपर से चौड़ी और नीचे छोटी अर्द्ध अंडाकार होती है मनुष्य का हृदय,बहुत सी मांसपेशिय रूपी महाधमनी, फुफ्फुस, कपाट आदि से मिलकर बना होता हैं जिनके अलग अलग कार्य होते है जैसे – हृदय के भीतर दैहिक महाधमनी(Superior Vena Cava), फुफ्फुस धमनी(Pulmonary Artery),अग्र महाशिराएँ(Anterior Great Veins), फुफ्फुस शिराएँ(Pulmonary Veins), फुफ्फुस महाधमनी(Pulmonary Aorta),दाहिना आलिंद(Right Atrium), बायाँ आलिंद(Left Atrium), अर्द्ध चंद्राकार कपाट(Semilunar valves),ट्राईकस्पीड कपाट(Trispid valves),बाईकस्पीड कपाट(Bispid valves),पश्च्महाशिराएँ,दाहिना निलय(Right Ventricle),बायाँ निलय(Left Ventricle) पाये जाते है।

2.आलिँदो की संरचना रूपी कार्य शेली ! 

जैसा की आप सब जान चुके है कि इसके आगे के चौड़े भाग को आलिंद भाग और निचले भाग को निलय भाग कहते हैं अलिंद-निलय एक पट(दो अलग – अलग भागो) द्वारा दाएं-बायें, आलिंद(Auricle) और निलय(Ventricle) में विभाजित होते हैं (जैसा की चित्र में दर्शाया गया) अंततः मनुष्य के हृदय में चार वेशम(Chambers) होते हैं चारो वेशम (खण्डों) मे दो आलिंद व दो निलय होते है। दो अग्र महाशिराएँ हृदय के अगले भाग से तथा एक पशच महाशिरा हृदय के पिछले भाग से अशुद्ध रक्त लाकर दाएं वाले आलिंद में जाकर खुलती है। बायें अलिंद में पल्मोनरी शिराएँ(Pulmonary Veins)खुलती हैं  (दिए गए चित्र को साथ-साथ देखते रहे)   जो फेफड़ों से शुद्ध ऑक्सीजन युक्त रक्त लाती हैं वो बायें आलिंद मे पल्मोनरी शिरा (Pulmonery Veins) द्वारा एकत्रित होती है – इस प्रकार दाहिने आलिंद में अशुद्ध रक्त और बाएं अलिंद में शुद्ध रक्त एकत्रित होता है

  • इसी प्रकार दाएं निलयसे एक मोटी नलिका पल्मोनरी आर्टरी या महाधवनी(Pulmonary Aorta) निकलती है यह शीघ्र थोड़ा आगे चल कर दो पल्मोनरी या फुफ्फुस धमनियो में बंट जाती हैं और अशुद्ध रुधिर को (ऑक्सीकृत) ऑक्सीजन युक्त करने के लिए फेफड़ों में ले जाती है बायें आलिंद से दैहिक महाधमनी(Carotico-Systemic Aorta) नामक एक मोटी नलिका निकलती है यह महाधमनी द्वारा शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों को ले जाती है।

दाएं अलिंद में तीन छिद्र होते हैं जिनके द्वारा अग्र तथा पशच महाशिराएँ (Pre and Post Canals)खुलती है। इन छिद्रों के बीच एक कपाट और एक नोड (Node) होता है नोड से हृदय की धड़कन का संचालन होता हैं बायें आलिंद मे एक तिरछा छिद्र होता है, जिसके द्वारा पल्मोनरी शिरा का रास्ता खुलता है।

  • इसी प्रकार दाएं अलिंद अपने नीचे दाएं निलय में एक आलिंद-निलय छिद्र द्वारा खुलता है इस छिद्र पर एक त्रिवलन (Tricuspid) कपाट लगा होता है जो निलय की ओर लटका रहता है यह कपाट महीन तंतुओं से निलय के भीतरी सतह से जुड़ा रहता है, इसी प्रकार बायाँ आलिंद भी अपने नीचे बायें निलय में छिद्र द्वारा खुलता है इस छिद्र पर एक द्विवलन(Bicuspid) कपाट लगा होता है जो आगे चल कर निलय मे खुलता है।

 

3-आलिँदो और निलय द्वारा मनुष्य हृदय में रुधिर का परिसंचरण (Blood Circulation in Man By Auricle and Ventricle) :-

हृदय एक पेशीय संरचना के रूप मे एक पम्प का कार्य करता है इसकी ऊपरी गहरे रंग के दो कक्षों आलिँदो में शरीर के विभिन्न भागों से रुधिर आता है और हल्के रंग के अतिपेशीय दोनों निचले कक्ष निलय शरीर के विभिन्न भागों को रुधिर पम्प (खुन बॉडी मे फैलाने का काम) करते है!

  1. रक्त मे CO2 और O2 का परिसंचरण:-

क्योकि रुधिर O2 और CO2 दोनों का संवहन करता है अतः ऑक्सीजन प्रचुर शुद्ध रुधिर को कार्बन डाइऑक्साइड प्रचुर अशुद्ध रुधिर से अलग करने के लिए दाहिने व बायें आलिंद और दाहिने व बायें निलय से एक-एक सेप्टम(पतली झिल्ली) द्वारा अलग रहते है इस प्रकार हृदय के दाहिने कक्षा में अशुद्धि रक्त व बाएं कक्षा में शुद्ध रक्त या ऑक्सीकृत(ऑक्सीजन मिक्स) रुधिर प्रभावित होता हैं शरीर के विभिन्न अंगों जैसेवृक्ष,सिर तथा बाहों से अशुद्ध रक्त शिराओं द्वारा एक जोड़ी अग्र महाशिराएँ में पहुंचता है। अग्र महाशिराएँ दाएँ आलिंद में खुलती हैं मनुष्य की टांगों, आहारनाल, जनन ग्रंथियों, किडनी आदि से अशुद्ध रक्त शिराओं द्वारा पशच महाशिराओ(Posterior vena cava) में लाया जाता है जो दाएं आलिंद में खुलती हैं अर्थात पूरे शरीर का अशुद्ध रक्त तीन महाशिराओ द्वारा दाएं आलिंद में लाया जाता है जब दाहिना आलिंद सिकुड़ता है तो महाशिराओ का वाल्व (Valve) बंद हो जाता है और आलिंद-निलय छिद्र खुल जाता है अतः अशुद्ध रक्त दाएं आलिंद से बाएं निलय में पहुंच जाता है। अब निलय में संकुचन होने के कारण अलिंद-निलय छिद्र बंद हो जाता है जिसके फलस्वरुप अशुद्ध रक्त पलमोनरी धमनी (Pulmonary Arteries) से होता हुआ फेफड़ों(Lungs) में पहुंचता है यहाँ नाक दुआरा ली गयी सांस मे आये ऑक्सीजन को लेकर फेफड़े अशुद्ध रक्त मे कार्बन डाइऑक्साइड निकालकर शुद्ध ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय मे, जहां रक्त शुद्ध होता है वहाँ पहुँचने का काम करता है फेफड़ों से शुद्ध रक्त बायें अलिंद ( left Auricle)में आते है बायें आलिंद से यह बायें निलय में आता है जहां से यह दैहिक महाधमनी(Superior Vena Cava) द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुंच जाता है।

4-मनुष्य हृदय का दोहरा परिवहन (Double Circulation of Human Heart) :-

मनुष्य मे रुधिर परिवहन मे दो परिवहन पथ होते है

  1. 1.फुफ्फुसी या पल्मोनरी परिवहन: इस परिवहन पथ मे दाहिने निलय के संकुचन से उसमे भरा अशुद्ध रुधिर फुफ्फुस धमनियो द्वारा फेफड़ों मे शुद्धिकरण के लिए पहुंचता है फेफड़ों से शुद्ध रुधिर एक जोड़ी फुफ्फुस शिराओं द्वारा बायें आलिंद में पहुंचता है।

 

  1. 2.दैहिक या सिस्टमिक परिवहन: इस परिवहन पथ में बायें निलय के संकुचन से शुद्ध रुधिर दैहिक महाधमनी में से होता हुआ धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचता है और शिराओं द्वारा एकत्रित अशुद्ध रुधिर अग्र एवं पशच महाशिराओ द्वारा हृदय के दाहिने आलिंद मे पचता है इस प्रकार मानव मे रुधिर दो बार हृदय से गुजरता है।

 

नोट:- तो इस प्रकार हमारा हृदय मे आलिंद-निलय प्रत्येक दिन 24 घंटे इस प्रक्रिया को दोहराता रहता है!

यह भी पढ़ेहृदय से संबंधित सामान्य जानकारी जो सबको होनी चाहिए इस आर्टिकल को पढ़कर आप ले सकते हैं?

5- Conclusion (निष्कर्ष) :-

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना कि हमारे हृदय के अंदर आलिंद और निलय किस प्रकार कार्य करते हैं किस प्रकार अशुद्ध रक्त को फेफड़े एवं हृदय द्वारा शुद्ध रक्त में परिवर्तित किया जाता है।

FAQ’S

Q1. मनुष्य का हृदय कब आराम करता है? 

Ans_ मनुष्य का हृदय प्रत्येक दिन 24 घंटे काम करता है मनुष्य की मृत्यु के होते ही इसका काम करना बंद हो जाता है।

Q2. अलिंद हृदय का कौन सा भाग है?

Ans_अलिंद हृदय का ऊपरी दो कक्ष भाग है।

Q3. मनुष्य के हृदय में कितने आलिंद और कितने निलय होते हैं?

Ans_ मनुष्य का हृदय कर कक्षाओं में बाँटा होता है * दायाँ आलिंद-दायाँ निलय तथा बायाँ आलिंद- बायाँ निलय।

Q4. हार्ट की कितनी नसें होती हैं? 

Ans_ हृदय को तीन नसो से रक्त प्राप्त होता है।

Q5. CO2 और O2 कहा पर ऑक्सीकृत होते है?

Ans_ इसका उत्तर इस आर्टिकल मे है आर्टिकल को पुन: पढ़ कर उत्तर Comment Box मे करे।

 

 

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