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|| हृदय क्या है और यह कैसे कार्य करता है ||

हृदय की परिभाषा

हृदय एक प्रमुख अंग जिसको हम कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम कहते हैं जो रक्त वाहिकाओं (खुन ले जाने वाली नसो) से घिरा रहता है हृदय का काम रक्त को पूरे शरीर में पहुंचने का और फिर वापस हृदय तक ले जाने का होता है इस प्रकार का कार्य पूरे दुनिया के जीव जंतु जगत या मनुष्य में केवल ह्रदय ही करता है जिसको हम ह्रदय या दिल (Heart) के नाम से जानते है। ह्रदय का वजन 300 gm के लगभग होता है हृदय शरीर के सबसे व्यस्त अंग की सूची आता है (रक्त परिसंचरण तंत्र की सर्वप्रथम खोज सन् 1628 ई मे विलियम हार्वे ने करी थी)

मानव हृदय (Human heart)

मनुष्य का हृदय छाती के मध्य में दो फेफड़ों के बीच में स्थित होता है और इन फेफड़ों सहित हृदय की रक्षा हमारे छाती के ऊपर उपस्थित अस्थि पंजर(हड्डियां) करती है भीतर हृदय एक पतली दोहरी झिल्ली में बंद रहता है जिसे हृदयावरण या पेरिकार्डियम कहते हैं
इन दोनों झिल्लीयो के बीच में एक तरल पदार्थ भरा होता है जिसे हृदयावरनी द्रव या पेरिकार्डियल द्रव कहते हैं यही द्रव हृदय को लचीला बनाये रखता है और हृदय को भारी धक्को से बचाता है। (जब कभी भी हृदय के ऊपर कोई आपातकालीन घटना होती हैं तब उस समय यह द्रव (झिल्ली) सक्रिय रूप से हृदय की रक्षा करती हैं) आघात मे आये दबाब को भीतर हृदय तक पहुँचने से रोकती है। किन्तु यह भी एक सीमा तक हृदय की रक्षा करती है। आघात सीमा से बाहर है तब हृदय को नुक्सान हो सकता हैं।

धड़कन का धड़कना

मनुष्य हृदय के संकुचन और शीतलन को सम्मिलित रूप से हृदय की धड़कन बोलते हैं साधरण अवस्था में एक मनुष्य का हृदय 1 मिनट में 72 बार धड़कता है लेकिन वही जब बच्चा माँ के गर्भ मे होता है उस समय काल मे भ्रूण अवस्था में शिशु की धड़कन 150 बार धड़कता है जब धड़कन एक बार पम्प करता हैं तो लगभग एक बार मे 70 ml रक्त – रक्त वाहिकाओ मे फेकता है और इस पम्प का दवाब रक्त मे 120/80 mmhg होता हैं जिसको हम रक्तदाब  Blood Pressure कहते है _Note : प्रत्येक मनुष्य का रक्तदाब (सिस्टोलिक-120 -/-  डायसिस्टोलिक – 80) के बीच होना चाहिए। इससे ज्यादा या कम नही होना चाहिए अगर ऐसा होता हैं तो व्यक्ति रक्तदाब Blood Pressure(B.P) की बीमारी से ग्रसित माना जाता है।

मनुष्य हृदय की बाहरी संरचना ( External Structure) :-

मनुष्य का हृदय (दिल) लाल गहरे रंग की तिकोनी रचना वाला मांसल होता हैं मांसपेशियों से बने हृदय के मध्य मे छोटे-छोटे कपाट (Valve) होते है जिसको आलिंद (Aurticle) बोलते हैं यह आलिंद चार भागो मे बाँटा होता हैं जो निम्नलिखित है_

  • आगे के भाग मे एक आलिंद (Right Aurticle)
  • आगे के भाग मे एक  निलय (Left Ventricle)
  • पीछे के भाग मे एक आलिंद (Right Aurticle)
  • पीछे के भाग मे एक  निलय (Left Ventricle)

इसको हम ऐसे भी बोल सकते है हृदय के चार कोष्ट ( Chamber) होते है..
>दो आलिंद ( Two Aurticle)
>दो निलय ( Two Ventricle)

मनुष्य के हृदय मे दो आलिंद, दो निलय के द्वारा ही रक्त का पूरे शरीर मे जाना एवं हृदय मे फिर से वापस आना, इस प्रक्रिया द्वारा संभव हो पाती हैं।
दोनों तरफा आलिंदओ द्वारा हृदय के दाएं तरफ वाले भाग में अशुद्ध खून यानी की कार्बन डाइऑक्साइड और बाएं तरफ वाले भाग में शुद्ध खून यानी ऑक्सीजन होता है ये आलिंद ही रक्त को साफ करके शरीर की धमनियों मे पहुँचाने का कार्य करता है।

इस आर्टिकल द्वारा जाने की मनुष्य के हृदय मे आलिँदो के कार्य क्या है विस्तार से जाने?

मनुष्य हृदय की आंतरिक संरचना (Internal Structure) :-

हृदय की आंतरिक संरचना मे चारो आलिँद (Aurticle) स्पष्ट रूप से दिखाई दिये जा सकता है,जिसमे समझ आयेगा की दांये आलिंद (Aurticle) मे तीन छिद्र होते है जो आगे एवं पीछे के भाग की बड़ी महाशिराओ मे खुलती हैं इन छिद्रों के बीच मे कपाट(Valves) और नोड (Node)होते है नोड से ही हृदय की धड़कन का संचालन होता है जो रक्त को धमनी दवाब द्वारा पूरे शरीर मे ले जाने का काम करती हैं।

हृदय क्या है और यह कैसे कार्य करता है
हृदय क्या है और यह कैसे कार्य करता है

हृदय की रुधिर वाहिनियाँ ( Blood Vessels)

इसको निम्नलिखित् रूप से तीन भागो मे विभाजित किया गया है

धमनियाँ :

हृदय से रुधिर धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंच जाती है धमनियों की दीवार मोटी व लचीली होती है इसके अंदर रुधिर झटके के साथ बहता है इनमे कोई कपाट नही होता है अंगो के अंदर पहुँचकर धमनियाँ धमनिकाओ (Arterioles) मे बंट जाता हैं इनकी दीवार कोशिकाओं के समान पतली होती है। धमनिका फिर से विभाजित होकर केशिकाएँ ( Capillaries) बनाती है।

केशिकाएँ :

केशिकाओ की दीवार एककोशिकीय स्तर की बनी होती है और ऊतक कोशिकाओं के सम्पर्क मे रहती है केशिकाओ के रुधिर ऊतक द्रव एवं ऊतक कोशिकाओं के बीच पदार्थो का आदान प्रदान होता हैं।

शिराएँ :

ऊतक में बहुत-सी केशिकाओ के जुड़ने से शिराएँ बनती है ये ऊतक से रुधिर को हृदय मे वापस पहुँचाती है, इनकी दीवार पतली होती है और इनकी गुहा कपाट(Valves) होते है इनमें रुधिर का बहाव हृदय की ओर तथा समान गति से होता है।

धमनियों, केशिकाओ, शिराएँ का मुख्य काम शरीर के भीतर पतली-पतली नस रूपी शिराओं मे  विभाजीत होकर सम्पूर्ण शरीर मे वृक्षों की जड़ों की भांति फैला रहता है।

हृदय अवरुद्ध Heart Attack

कभी-कभी आलिंद एवं निलय की मासपेशीयो मे रुकावट आना चालु हो जाता हैं फलत: जब हमारा हृदय पूरी तरह ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता या फिर धीरे-धीरे उसकी गति कम होती रहती है तो उसे हृदय अवरुद्ध या फिर हार्ट अटैक बोला जाता है इसमें हृदय की धड़कन के आवेग में कमी महसूस होने लगती है इसका दबावरूपी आवेग आलिंद और नोड में पैदा होती है आलिंद से निकलने वाला रक्त ध्वनियों द्वारा नीले में प्रवेश नहीं कर पाता फलस्वरुप आलिंद की गति धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाती है और निलय की गति रुक जाती है ।

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।। हृदय के कार्य पर एक छोटी सी व्याख्या ।।

लगभग सभी जानवरों में हृदय एक मांसपेशिय अंग है जो रक्त की परिसंचरण तंत्र के रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त को पूरे शरीर में संचारित करता है परिसंचरण तंत्र द्वारा पंप किया गया रक्त पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व को पहुंचाता है। जबकि कार्बन डाइऑक्साइड जैसे चयापचय अपशिष्ट पदार्थों को फेफड़ों तक पहुंचाने का भी हृदय ही करता है परिसंचरण तंत्र मे उपस्थित पतली पतली शिराए सम्पुर्ण बॉडी  मे ऊर्जा और अपशिष्ट पदार्थों का आदान प्रदान दिन रात करते रहते है- यही हमारे शरीर मे हृदय का मुख्य कार्य है।

Conclusion (निष्कर्ष)

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने हृदय के भारी संरचना के बारे में अच्छे से जाना कि यह ऊपरी तौर पर किस प्रकार कार्य करता है

लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल

FAQ’S
Q1- हृदय का मुख्य कार्य क्या है?
Ans- शुद्ध रक्त को पूरे शरीर में भेजना और अशुद्ध रक्त को साफ करना।
Q2- स्त्री का हृदय कहां स्थित होता है?
Ans- स्त्री का हृदय पुरुषों के हृदय की भांति फेफड़ों के मध्य में ही स्थित होता है लेकिन स्त्री का हृदय पुरुषों के हृदय से कम धड़कता है।
Q3- हृदय का वजन लगभग कितना होता है?
Ans-इस प्रश्न का उत्तर इस आर्टिकल में दिया गया है कृपया आर्टिकल को पुन्: पढ़कर उत्तर कमेंट बॉक्स में करें?

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