[Allintitle] 10 वीं कक्षा में जानवरों में समन्वयन क्या है? | Coordination In Animals || आसान शब्दो मे जानकारी

Coordination In Animals_प्रत्येक जीवधारी में उनकी चेतना सभी में अलग-अलग होती है इस चेतना के द्वारा ही जीवधारी अपने कार्य को कर पाते हैं यह चेतना जीवधारी में बाहरी रूप से और आंतरिक वातावरण में होने वाले परिवर्तन को वह जान पाते हैं इसलिए इस क्रिया का प्रभाव तंत्रिका तंत्र से आरंभ होता है।

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जीवो के मस्तिष्क में समन्वयंन एवं नियंत्रण क्या है।

सभी जीवो में एक प्रकार की चेतना होती है इस गुणों के कारण ही जीवधारी अपने बाहरी और आंतरिक वातावरण में होने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के परिवर्तन को तुरंत जान पाते हैं और उनके प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं को प्रदर्शित भी कर पाते हैं वातावरण में होने वाले परिवर्तन को उद्दीपन कहा जाता है और उद्दीपन के प्रति दिखाई देने वाली प्रतिक्रिया को अनुक्रिया का नाम दिया जाता है जीवो में बाहरी और भीतर के वातावरण में होने वाले इस संतुलन या तालमेल को बनाने और उसको स्थिर रूप से बनाए रखने की क्षमता को नियंत्रण या होमियोस्टैसिस कहते है तथा सामान्य स्थिति बनाए रखने की प्रक्रिया को समन्वयंन कहते हैं।

जंतुओं में समन्वयन (Coordination in Animal)

एक कोशिकीय जंतुओ में समन्वयंन ( Coordination in Unicellular animals)


कुछ सरल जीवो जैसे- कि अमीबा में समन्वयंन और नियंत्रण की एक विशेष आवश्यकता की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इनकी कोशिकांग ही आवश्यक समन्वय का काम कर देती है इसको हम दो प्रकार की अनुक्रिया में बाँट कर बताते हैं…

1.स्वीकारात्मक आकर्षण अनुक्रियाऐ


इस प्रकार की क्रिया में जंतु उद्दीपन स्रोत की ओर आकर्षित होता दिखाई देता है जैसे -उसका मन भोजन की ओर स्वयं आकर्षित होगा।

2.नकारात्मक या विकर्षण अनुक्रियाएं


इस प्रकार की क्रिया में जंतु स्रोत से दूर भागता हुआ दिखाई देगा जैसे- अधिक ताप पर या विद्युत लगने पर तुरंत वह दूर हट जाएगा।

बहुकोशिकीय जंतुओं में समन्वयंन (Coordination in Multicellular Animals)

इस कोशिकाओं में इस प्रकार के जन्तु आते हैं जो बहुत सारी कोशिकाओं से मिलकर आपस मे बने होते हैं, इन सभी बहुकोशिकाय जंतुओं की विभिन्न अंगों में अलग-अलग प्रकार की जैविक क्रियाएं उनके भीतर चलती रहती हैं यह मुख्य रूप से रासायनिक और भौतिक स्तर पर यह क्रियाएं होती हैं तंत्रिका तंत्र एवं अंत स्रावित तंत्र द्वारा अपने-अपने ढंग से इन क्रियाओं का नियमन और नियंत्रण होता रहता है और इनमें विभिन्न अंगों के कार्य में समन्वय को बना रखने का काम करते हैं अतः इनमें दो प्रकार की कोशिकाओं मे समन्वय होता है। जो निम्नलिखित रूप से हैं. .

1- तांत्रिकीय समन्वय (Nervous Coordination)

2- रासायनिक समन्वय (Chemical Coordination)

जंतुओं में तंत्रिकीय समन्वयंन (Nervous Coordination in Animals)

जंतुओं के शरीर में तंत्रिका तंत्र अपनी तंत्रिका कोशिकाओं के द्वारा और तंत्रिका सूत्रों के द्वारा शरीर में सभी होने वाली – कायिक, व्यावहारिक और शारीरिक क्रियाओं का समन्वयंन बराबर रूप से करता रहता है इसे हम तंत्रिकीय समन्वयंन कहते हैं जन्तुओ मे यह दो प्रकार अलग-अलग स्तरों में होता है।

(1) – शरीर के भीतर अन्य अंगों के कार्य का नियंत्रण जैसे – हृदय की धड़कन का धड़कना, भोजन का आहारनाल के भीतर पाचन होना, भोजन का अवशोषण होना, फेफड़ों द्वारा रुधिर से वज्ये पदार्थों को अलग करना, किडनी द्वारा रुधिर से अपशिष्ट पदार्थ को अलग करना, पाचन अम्ल का स्वयं स्रावित होना आदि क्रियाओं को अपने स्तर पर शरीर के भीतर वातावरण में सामंजस्य को बनाए रखना।

(1) – शरीर में बाहरी वातावरण से प्राप्त हुई उद्दीपनों का पूर्ण विश्लेषण करके उनके प्रति उचित अनुक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित करना।

ग्राही अंग (Receptor Organs)


शरीर के अंदर ग्राही अंगों द्वारा तंत्रिका तंत्र बाहर की और भीतर में होने वाले वातावरण से संपर्क को बराबर रूप से बनाए रखना है बाहरी वातावरण से उद्दीपन ग्रहण करने वाले ग्राही अंगों को ज्ञानेंद्रियाँ कहा जाता है,इसके मुख्य उदाहरण है-  आंख द्वारा, नाक द्वारा, कान द्वारा, त्वचा द्वारा, जिव्हा द्वारा आदि। तंत्रिकाओ द्वारा ग्राही अंगों से ग्रहण किए गए उद्दीपनों के प्रति होने वाली अनुक्रिया करने वाले अंगों को कार्यकारी अंग कहा जाता है।

दो महत्वपूर्ण तंत्र हमारे तंत्रिका तंत्र में सबसे महत्वपूर्ण तथा उपयोगी रूप से कार्य करते हैं जिनका नाम है…

अनुकंपी तंत्र के कार्य

1- यह अनुकंपी तंत्र शरीर में रक्त के दाब को बढ़ाता है।
2- इसकी क्रिया से बाल खड़े हो जाते हैं।
3- यह त्वचा में उपस्थित रुधिर वाहिनियों को संकीर्ण करता है।
4- यह शरीर में हृदय के स्पंदन को तेज करने का काम करता है
5- यह रुधिर में शर्करा के स्तर को बढ़ाने का भी काम करता है।
6- यह शरीर के भीतर संवेदी ग्रंथियां के स्त्राव को प्रारंभ करता है।
7- यह आंखों के भीतर आंखों की पुतलियां को फैलाने का करने काम करता है।
8- इसके द्वारा ही स्वसन क्रिया की दर तीव्र हो पाती है।
9- इसी के कारण मूत्राशय की पेशियां का विमोचन हो पाता है।
10- इसके द्वारा ही कभी आपातकालीन घटना में रक्त के निकालने या कटने फटने पर रक्त का थक्का बनाने का काम भी अनुकंपा तंत्र का ही होता है।
11- यह शरीर के भीतर आंतो में क्रमाकुंजन की गति को कम करने का काम करता है।
12- यह रक्त में लाल रुधिर का कणकाओ संख्या की वृद्धि के लिए भी अनुरूपी है।
13- इसके द्वारा सामूहिक रूप से भय, पीड़ा, और क्रोध पर प्रभाव पड़ता है।
14- इसी के द्वारा मुंह के अंदर लार ग्रंथि का स्त्राव को काम करता है।

परानुकंपी तंत्र के कार्य

1-इस तंत्रिका तंत्र का प्रभाव सामूहिक रूप से आराम और सुख की स्थिति में उत्पन्न होता है।
2- इस आंतरिक विधि में संकुचन एवं गति उत्पन्न करने का काम करता है।
3- यह कोरोनरी रुधिर वाहिनियों को छोड़कर, शरीर में रुधिर वाहिनियों की गुहाओं को चौड़ा करता है।
4- यह लार के स्राव में और अन्य पाचन रसों में वृद्धि करता है।
5- यह नेत्र की पुतलियां मे संकुचन करता है।
6- यह मूत्राशय की अन्य पेशियां में भी संकुचन उत्पन्न करता है।

तंत्रिका तंत्र में तंत्रिका उत्तक

शरीर में तंत्रिका तंत्र तंत्रिका उत्तक का ही बना होता है यह तंत्रिका उत्तक तंत्रिका कोशिका या न्यूरोन से मिलकर बनता है।

इस आर्टिकल मे जाने “मनुष्य का मस्तिष्क किस प्रकार बना है। और वह कैसे काम करता है। और जाने कंप्यूटर की तरह मस्तिष्क कैसे सारी बातो को याद रख लेता है ?

तंत्रिका कोशिका या न्यूरोन की संरचना (Structure of Neuron)

शरीर में तंत्रिका तंत्र का एक मुख्य भाग तंत्रिका कोशिकाएं हैं जिनकी लंबाई 1.5 से 2 मीटर तक लंबी देखी गई है, प्रत्येक तंत्रिका कोशिकाओं को हम निम्नलिखित रूप से तीन भागों में बांटे हैं:

1) – कोशिकाकाय या साईटोन (Cyton)

कोशिकाकाय के माध्य से एक बड़ा केंद्रक और इसके चारों तरफ कोशिकाद्रव्य भरा होता है। कोशिकाद्रव्य में एक प्रकार का प्रोटीन है जो अनेक सूक्ष्म कण के रूप में उपस्थित होते हैं जिन्हें हम की निसिल्स कण भी कहते हैं।

2) – डेंड्रोंस और डेंड्रिट्स (Dendrons and Dendrites)

कोशिकाकाय यानी साईटोन से अनेक प्रवृध् निकले हुए रहते हैं जिन्हें डेंड्रोंस कहते हैं प्रत्येक डेंड्रोंस से भी पतली- 2 प्रवृध् निकली रहती हैं, जिन्हें डेंड्रिट्स कहते हैं यह अन्य तंत्रिका कोशिकाओं को डेंड्रिट्स के सिनेपस द्वारा जुड़ा रहता है।
तो यह थी जीवो में समन्वय की संपूर्ण प्रक्रिया जो तंत्रिका तंत्र में सुचारू रूप से कार्य करने के लिए उपस्थित होती है।

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निष्कर्ष


मनुष्य का शरीर में उपस्थित मस्तिष्क में इन तंत्रिका तंत्र का हम उपयोग है इनके द्वारा ही हमारे अंदर यादें और कुछ विचार और अनंत ज्ञान उपस्थित होता है उनके संकेत के द्वारा ही हम किसी कार्य को प्रत्यक्ष रूप से समझ पाते हैं और कर पाते हैं।

Coordination in Animals

FAQ,s

जानवर में नियंत्रण और समन्वय क्या है?

जंतुओ में नियंत्रण और समन्वयंन तंत्रिका एवं मांसपेशियों के जो ऊतकों द्वारा प्रदान हो पाते है। शोध के अनुसार:-पौधों और जानवरों में रासायनिक समन्वय को देखा जाता है।

जीव विज्ञान के अनुसार समन्वय क्या है?

जन्तु शरीर या पादपों मे होने वाली दो या दो से अधिक होने वाली क्रियाओ का आपस मे तालमेल समन्वयं कहलता है।

एकल कोशिका वाले जानवरों में नियंत्रण और समन्वय कैसे होता है?

जितने भी एककोशिकीय जंतु है उनमे कोशिकाद्रव्य जीवो की सभी गतिविधियों को नियंत्रित तथा समन्वयित करता है।

जानवर कैसे संवाद करते हैं?

इंद्रियों के मध्यम से जैसे- त्वचा, आँख, नाक, जिव्हा, कान, ध्वनि, स्पर्श, भाषा द्वारा।

जीव विज्ञान में समन्वय के मुख्य घटक क्या हैं?

दो घटक :- A-हार्मोनल तंत्र, B- तंत्रिका तंत्र

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