(Allintitle)1 जानवरों में रासायनिक समन्वय कैसे होता है “Chemical Coordination of Animals”|सीबीएसई सीखें|| cbse board

Coordination :- इस धरती मे अंन गिनत् जीव जन्तु – पेड़ पौधे है सभी जीवो की बाहरी संरचना सभी मे अलग है लेकिन अंदर होने वाली रासायनिक क्रिया सभी मे एक समान है जिस कारण मनुष्य हो या अन्य जीव, सभी की आंतरिक संरचना भीतर से एक ही तरह काम करती हैं इसी को ही जानवरों में रासायनिक समन्वय (Coordination) कहते है!

चलिए यह कैसे काम करती है विस्तार पूर्वक जानते हैं? (Chemical Coordination In Animals)


मनुष्य शरीर के भीतर बहुत प्रकार के रासायनिक तत्व विघ्मान हे जो शरीर मे होने वाले बहुत से परिवर्तन को करता रहता है यह परिवर्तन ग्रंथियों के रूप मे कार्य करती हैं यह ग्रंथियां दो प्रकार की होती हैं
1- बाहरी ग्रंथि
2- आंतरिक ग्रंथि

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शरीर मे पाए जाने वाले हारमोंस तथा अंत:स्त्रावी ग्रंथियां (Hormones and Endocrine Glands )


हमारे शरीर में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार की ग्रंथियां जो उच्च कोटि के जंतुओं में उसमें उपस्थित तंत्रिका तंत्र के अलावा विशेष प्रकार के रासायनिक तत्वों के द्वारा शरीर की भिन्न-भिन्न क्रियो का नियंत्रण करती रहती हैं एक ग्रंथियां विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ का श्रवण शरीर में करती हैं जिन्हें हम हारमोंस के नाम से जानते हैं ।

हारमोंस (Hormone)


हारमोंस एक जटिल कार्बनिक यौगिक है शरीर में अधिकतर एस्टेरॉइड पाए जाते हैं किंतु कुछ प्रोटीन एवं अमीनो अम्ल भी शरीर में उपस्थित होते हैं यह इनकी मात्रा बहुत कम होती है और यह सीधे रुधिर की शिराओं में पहुंच जाते हैं और रुधिर की हारमोंस को शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंचने का कार्य करते हैं युद्ध भी सभी प्रकार की हारमोंस सारे शरीर में संचारित बराबर रूप से होती रहती हैं परंतु प्रत्येक हारमोंस एक में एक विशेष अंग की कोशिकाओं के कार्य को भी प्रभावित करती हैं हारमोंस शरीर में उपस्थित उपापचय वृद्धि जनन रुधिर दाब रुधिर में जल और लवण की मात्रा आदि क्रियो का नियंत्रण बराबर रूप से करता रहता है कुछ हार्मोंस प्रेरक के रूप में कुछ निरोध के रूप में होते हैं हारमोंस की थोड़ी सी मात्रा भी अगर काम हो जाती है या अधिक हो जाती है तो इसके फल स्वरुप कई प्रकार के रोग शरीर में ग्रसित होने लगते हैं।

अंतः स्त्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands)


शरीर में हारमोंस स्रावित करने वाली इन ग्रंथियां को नलिका विहीन ग्रंथियां या अंत स्त्रावी ग्रंथियां कहते हैं इसमें वाहिकाएं नहीं होती है और यह स्ट्रांग शरीर में सीधे रुधिर में छोड़ते हैं रुधिर के सभी हारमोंस शरीर में विशेष प्रकार के स्थान में पहुंचकर एक विशेष शरीर में परिवर्तन करते हैं जिसे जैसे की वृद्धि की दर गुण लैंगिक लक्षणों का प्रतीक लक्षण होना लैंगिक परिवर्तन आदि।

हमारे शरीर में पाए जाने वाली मुख्य अंत स्त्रावी ग्रंथियां निम्नलिखित प्रकार से हैं :

1-  पीयूष या पिट्यूटरी ग्रंथि
2- थायराइड ग्रंथि
3- अधिवक्र ग्रंथि
4- पैराथायराइड ग्रंथि
5- जनन ग्रंथि
6- पिनियल काय
7- अग्नाशय ग्रंथि
8- आहार नाल की श्लेश्मिक कला।

यह सभी ग्रंथियां शरीर में कार्य करती हैं और इनका कार्य शरीर में अलग-अलग है चलिए इसको विस्तार पूर्वक जानते हैं…

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पीयूष या पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland)


मनुष्य शरीर में यह एक छोटे आकार की ग्रंथि है यह मस्तिष्क के अधारतल पर हाइपोफाइसिस में जुड़ी हुई होती है ये ग्रंथि लगभग 13 प्रकार के हारमोंस का उत्पादन शरीर के लिए करती है, इन ग्रंथियों के पिछले पिंड से दो हार्मोंस और अगले पिंड से 11 हार्मोंस और मध्य पिंड से केवल इंटरमीडिन नामक एक हारमोंस का स्राव होता है। पीयूष ग्रंथि के अगले पिंड से निकलने वाले हार्मोन है :


1- वृद्धि हारमोंस :- यह शरीर में पाए जाने वाले उत्तकों और हड्डियों की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
2- एडररीनोकोर्टिकोट्रापिक हारमोंस :- यह शरीर की अधिकवक्क् ग्रंथि कॉर्टिसोन हॉर्मोंन स्रावित करने के लिए उत्तेजित करती हैं।
3- फॉलिकल उत्तेजक हारमोंस :- यह नर (Male) में वृषण की वृद्धि और शुक्राणु जनन की क्रियाओं को प्रेरित करता है इसके अलावा मादा (Female)मे अंडाशय की एस्ट्रोजन स्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है।
4- थायराइड उत्तेजक हारमोंस :- यह हॉर्मोंन थायराइड गृन्थि को उत्तेजित करता है।
5- प्रोलेक्टिंन हॉर्मोंन :- :- यह मादाओ मे दूध को बनाने के लिए प्रेरित करता है।
6- ल्यूटिनईजिंग हॉर्मोंन :- यह व्यक्ति मे गोण लैंगिक लक्षणों के विकास के लिए संबंधित है।
इसमें से दो हॉर्मोंन का उत्पादन होता है…!
1- वोसोप्रेसिन
यह वृक्क द्वारा जल को पूर्ण अवशोषित करके मूत्र की मात्रा को वृक्क में नियंत्रित करता है।
2- ऑक्सीटोसिन
यह हारमोंस गर्भाशय की पेशियां के सिकुड़ने को प्रेरित करता है और इसके अलावा शिशु के जन्म के समय यह गर्भाशय की सिविक्स को छोड़ करने का काम भी करता है।

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थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland)


यह एक इस प्रकार की ग्रंथि है जिसका स्राव सभी जीवो में होता है यह ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन स्रावित करती है इस ग्रंथि के द्वारा थायरोक्सिन मूलभूत उपापचय की दर पर नियंत्रण करने का कार्य करती है इसकी कमी से उपापचय की दर में कमी और अधिकता भी हो जाती है इसकी कमी से हृदय की गति धीमी भी पड़ सकती है और तेज भी हो सकती है, शरीर में सुस्ती का कारण भी थायरोक्सिन हार्मोन के स्राव पर निर्धारित होता है मस्तिष्क की दुर्बलता हो या उसके संपूर्ण विकास पर भी थायरोक्सिन को सबसे ऊपर माना गया है बच्चों में थायराइड ग्रंथि की अल्प क्रिया से क्रटीनिजम (Cretinism) तथा बड़ों में इससे मिक्सीडेमो (Myxedema)नामक रोग हो जाता है।

(i) आयोडीन की कमी


थायराइड के व्यवहार में बदलाव होने के कारण इससे शरीर मे कमी भी हो सकती है जिसमें यह आयोडीन की कमी से यह ग्रंथि गर्दन पर घेघे का रूप धारण कर लेती है इस हारमोंस की अगर अधिक मात्रा हो जाती है तो संभव रूप से चिड़चिड़ापन, आंखें बड़ी होकर बाहर निकल जाना,घबराहट महसूस होना और बेचैनी जैसी चीजें आपके शरीर में परिवर्तिन लाने लगती है इस अवस्था को एक्सोपैथलिमिक ग्वाइटर कहते हैं।

पैरा-थायराइड ग्रंथि (Parathyroid Gland)

यदि शरीर में पैराथायराइड ग्रंथि का श्रवण हो रहा है तो शरीर में कैल्शियम फास्फेट के उपापचय पर नियंत्रण रखने का कार्य बराबर रूप से होता रहता है इस हार्मोन की अगर शरीर में कमी हो जाती है तो रुधिर व ECF के हाइपरकैल्सीमिया और हाइपरफाफेट्मिया स्थिति होता है जिससे दांतों के निर्माण के लिए कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो जाती है या अगर इसकी अधिकता हो जाती है तो रुधिर व ECF हाइपरकैल्सीमिया और हाइपोफास्फेटमिया स्थिति बनी होती है जिससे अस्थियां कोमल और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाते हैं।

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अधिवक्करक ग्रंथि (Adrenal Glands)


शरीर में यह ग्रंथि वक्रक के ऊपर किनारे से जुड़ी हुई होती हैं इस ग्रंथि का ऊपरी और बाहरी भाग कोरटेक्स के नाम से तथा भीतरी भाग मेडुयूला के नाम से जाना जाता है कोरटेक्स भाग में निर्मित क्वटीसेन हारमोंस की कमी के कारण शरीर में भूख की कमी हो जाती है तथा गठिया रोग होने का मुख्य कारण हो सकता है इस हारमोंस की अगर शरीर में अधिकता हो जाती है तो कभी-कभी जंतु के शरीर का लिंग में बदलाव आ जाता है मेडुला भाग में निर्मित एड्रीनलीन हारमोंस हृदय और रुधिर वाहिनियों में रुधिर दाब का नियंत्रण भी करती हुई दिखाई देती है।

https://youtu.be/8V0eDRPpfnY?si=e5xnOVWw747fxwEA

निष्कर्ष


जंतुओं के शरीर में रासायनिक समन्वय इन सभी ग्रंथियां के बदलाव के कारण संभव हो पता है हमने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना कि शरीर में किसी भी ग्रंथि का क्या मुख्य कार्य है इसके द्वारा हम जान पाए कि अगर उनकी कमी या उनकी अधिकता शरीर में हो जाती है तो क्या दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर इनका पड़ सकता है।

जंतुओं में रासायनिक समन्वय क्या है?

हार्मोन की सहायता से होता है।

उदाहरण सहित रासायनिक समन्वय क्या है?

यदि आप पर एक बैल द्वारा हमला किया जाता है, तो आप उससे दूर भागने की कोशिश करते हैं

शरीर में रासायनिक नियंत्रण क्या है?

रासायनिक विनियमन में, हार्मोन नामक पदार्थ कोशिकाओं के अच्छी तरह से परिभाषित समूहों द्वारा निर्मित होते हैं 

रासायनिक समन्वय के लिए कौन जिम्मेदार है?

अंतःस्रावी ग्रंथि 

रासायनिक समन्वय क्यों महत्वपूर्ण है?

यह सुनिश्चित करने के लिए रासायनिक और हार्मोनल नियंत्रण आवश्यक है कि शरीर की सभी कोशिकाओं को जानकारी प्राप्त हो 

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