Human skin “मानव शरीर में त्वचा की संख्या कितनी है?”

Human skin: त्वचा सभी कशेरुकी जंतुओं के शरीर पर एक मोटी और भारी आवरण होता है जिसका कार्य शरीर के भीतर पतली और नाजुक त्वचा, एवं शिराओ की रक्षा करना होता है जिन्हें हम देह भित्ति कहते हैं इनके बाहरी की स्तर त्वचा या अध्यावरण भी कहते है इसके नीचे वाली पतली पेशी स्तर होती हैं यदि मनुष्य के त्वचा की बात करें तो एरियॉलर ऊतक द्वारा पेशी स्तर से यह जुड़े होते हैं।

मनुष्य का अध्यावर्णी त्वचा (Human skin)


सभी मनुष्य में त्वचा मुख्य रूप से दो स्तर में बाँटा होता है।

1- उपचर्म (Epidermis)
2- चर्म (Dermis)

मनुष्य में दो प्रकार की यह त्वचाएं उपचर्म ऊपर वाले स्तर को और चर्म नीचे वाली स्तर को कहते हैं चलिए इसको इस विस्तार पूर्वक समझते हैं।

उपचर्म (Epidermis)

यह त्वचा के ऊपर वाले भाग होता हैं यह उपचर्म भूर्णीय एक्टओड्रम से विकसित होने वाला त्वचा है और इसको निम्नलिखित रूप से पांच उपस्तरों में विभेदित किया गया हैं उपचर्म का सबसे अंदर वाला स्तर उपस्तर अंकुरस्तर या मेल्पीधी स्तर भी कहते हैं यह संजीव स्तंभीय कोशिकाओं की एक पर्त से बनी होती है जो जीवनभर विभाजित होती रहती है और त्वचा मे यह विभाजन चलता रहता है इस विभाजन में त्वचा जीवित होती रहती है और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु होती जाती है। इस प्रकार यह क्रिया शरीर में चलती रहती है और हमारी त्वचा में दिन प्रतिदिन बदलाव आता रहता है एक और परत के बाद एक नई परत का निर्माण होता रहता है और त्वचा की सतह को आगे भी बढ़ने का काम करती रहती है इस स्तर की कोशिकाये क्रमश: चार अन्य उपस्तरों में विभाजित होते रहते हैं जैसे-

  • 1- शूल स्तर या स्ट्रैटम स्पाइनोसस
  • 2- कणी स्तर या स्ट्रैटम ग्रेन्युलोसम्
  • 3- स्वच्छ स्तर या स्ट्रैटम ल्युसिडम
  • 4- किण स्तर या स्ट्रैटम कॉनियम।

शरीर में इन सभी त्वचा कोशिकाये स्तर में बदलाव  होता लेकिन इनमें एक मेल्पीधी स्तर है जो कोशिकाएं सदैव जीवित रहती हैं बाकी सभी अन्य कोशिकाओं में बदलाव होने के कारण उनमें निर्माण और उसका समाप्त होना चलता रहता है।

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उपचर्म स्तर

शरीर में से सभी स्तरों की कोशिकाओ में उसमे स्थित कोशिकाद्रव में कैरोटीन इकट्ठा होता रहता है यह कैरोटीन शरीर के स्तर को बढ़ता रहता है जिसमें वे मृत और चपटी कोशिकाएं होती जाती हैं और स्ट्रैटम कॉर्नियम की कोशिकाएं एकदम चपटी और शल्की होती जाती है इनमें केंद्रक पूर्ण रूप से विलुप्त हो जाते है केन्द्रक को देख पाना सम्भव नही हो पाता है।

त्वचा रंग स्तर

मल्पिथी स्तर की कोशिकाओं के द्वारा कुछ रंगा कोशिकाएं होती हैं जिनको मिलेनोसाईटस कहते हैं इसके द्वारा त्वचा के रंग का होना संभव हो पता है इसमें उपस्थित वर्णन त्वचा के रंग का निर्धारण करते हैं उनको रंग प्रदान करते हैं मानव त्वचा का रंग -भेद, मेलेनिन (Melenine) वर्णक की मात्रा पर पूर्ण रूप से निर्भर करता है नीग्रो प्रजाति के लोगों में यह मेलेनिन की मात्रा आवश्यकता से अधिक होती है जिस कारण उनका रंग काला होता है वहीं कुछ अन्य देश जहां पर मेलेनिन की मात्रा बहुत कम होती है उनमें लोगों के गोरे होने की संख्या अधिक होती है इसके अलावा,मेलेनिन तापरोधी भी होता है और सूर्य की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों को शरीर में प्रवेश करने से भी रोकता है।

चर्म (Dermis)

यह उपचर्म के नीचे वाले स्तर पर स्थित होता है, तंतुमय में संयोजी उत्तक से बना हुआ यह त्वचा का एक मोटा स्तर है मुख्य रूप से यह भ्रूण के मेसोडर्म द्वारा विकसित होता है इसमें संयोजी ऊतक में श्वेत कोलेजन और लचीले इलास्टिन तंतु तथा संयोजी ऊतक की कोशिकाएँ होती हैं इसमें अलग-अलग प्रकार की त्वक ग्रंथियां, स्वेद ग्रंथियां, तेल ग्रंथियां, रोम, तंत्रिका तंतु, अरेखित पेशी तंतु एवं स्पर्श कणिकाएँ और कुछ संवेदी कोशिकाएं भी उपस्थित होती हैं।

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डर्मिस एवं पेशी स्तर के बीच समन्वय

डर्मिस एवं पेशी स्तर के बीच वसा कोशिकाओं से बना एक मोटा स्तर वाला आवरण होता है दोनों डर्मिसो के बीच उपस्थित यह आवरण के कई लाभ होते हैं जैसे –

1- वसाओं से बनने वाले ऊर्जा के स्तर को शरीर में प्रवेश करने का काम करता है ।
2- शरीर मे खाद (शक्ति) को संचयन करने का कार्य करता है।
3- शरीर को सुडोल बनाने के लिए प्रेरित करता है।
4- यह बाहरी आघातों से शरीर के भीतरी अंगो की रक्षा भी करता है।

यह त्वचा सभी मे उनकी शारीरिक और अंदरूनी संरचना पर निर्भर करती है । जैसे- व्हेल,सील आदि। जलये-समुद्री जीवो में यह स्तर बहुत मोटा होता है इसे बल्वर् के नाम से भी पुकारा जाता है।

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त्वचा संवेदी अंग

वैसे तो मनुष्य के चर्म स्तर के ऊपर उपस्थित सभी चीज संवेदी के रूप में होते हैं जैसे- रोम, रोम छिद्र, बाहरी त्वचा, भीतरी त्वचा, कान, नाक, आँख, मुहुँ आदि।
लेकिन मनुष्य में पांच मुख्य रूप से संवेदी अंगों में गिना जाता है जैसे-

1- कान ( किसी भी आवाज को सुनने के लिए उपयोगी )
2- नाक ( श्वसन और किसी भी प्रकार की गंन्ध को महसुस करने के लिए उपयोगी )  
3- आँख ( दृश्य के रूप मे किसी भी प्रकार के चित्र को देखने या कोई भी ज्वलनशील पधार्थ को महसुस करने के लिए उपयोगी)
4- जीभ (स्वाद का अनुभव प्राप्त करने के लिए उपयोगी)
5- त्वचा (जलना, कटना, तापरोधी आदि । चीजो मे त्वचा का मुख्य काम होता है )
इन सभी जरूरी अंगो से मिलकर मनुष्य या जीवो के पूरे शरीर की संरचना होती है।

संवेद या इन्द्रियबोध (sense)

शरीर मे त्वचा के अलावा ये चार संवेदी अंग (आँख, नाक, कान, मुहुँ) को मनुष्य की मुख्य इन्द्रिया बोला जाता है, लेकिन इनका केंद्र बिंदु त्वचा होता है  उदाहरण _ (1) आँखों के सामने अचानक से कोई नुकीली वस्तु आती है तब उस समय हाथ ऊपर उठकर आँखों की रक्षा करता है मतलब त्वचा आँखों के सामने आ जाती है_(2) नाक मे किसी भी प्रकार की दुरगंध आने पर हमारे संवेदी अंग तुरंत नाक को हाथो से बंद करने के लिए संकेत देता है। _ (3) किसी भी प्रकार की गर्म वस्तु मे अचानक से हाथ चले जाने पर हाथ तुरंत दूर हटा लेते हैं।


अत: त्वचा एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है शरीर का, इसकी सम्पूर्ण प्रकिया का संचालन पेशीयो द्वारा संभव हो पाता है।

Human skin

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना कि मनुष्य की त्वचा शरीर किस प्रकार इसका निर्माण होता है और उसमें कौन-कौन सी स्तर / आवरण होती है और किस प्रकार सम्पूर्ण त्वचा का निर्माण हो पता है और यह किस प्रकार संवेदी अंग के रूप में पूरे शरीर की को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

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FAQ’s

त्वचा रोग किसकी कमी से होता है?

vitamin D की कमी से त्वचा रोग होता है।

त्वचा सबसे बड़ा अंग क्या है?

त्वचा शरीर ही त्वचा का सबसे बड़ा अंग है।

त्वचा रोग में क्या न खाएं?

मसालेदार भोजन त्वचा के लिए हानिकारक होता है।

मेलेनिन रगड़ता है?

मेलेनिन हमारी त्वचा का सबसे महत्वपूर्ण अंग है मेलेनिन ही त्वचा के रंग का निर्धारण करता है।

चर्म रोग क्यों होता है?

त्वचा सम्बंधित रोग को चर्म रोग कहते हैं।

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