Class 12th “Male And Female Reproductive Systems”||नर एवं मादा जनन तंत्र क्या है|| DrBioGKSci


इस धरती की अद्भुत संरचना मानव या मनुष्य, मनुष्य एकलिंगी प्राणी है अर्थात नर (Male) और मादा (Female) अलग-अलग प्राणी में होते हैं जिस जीव/मानव में नर जनन अंग होते हैं उन्हें हम पुरुष कहते हैं तथा जिसमें मादा जनन अंग होते हैं उन्हें हम स्त्री कहते हैं पुरुष और स्त्री को बाहरी लक्षणों द्वारा पहचाना जा सकता है इन लक्षणों को गोंण लैंगिक लक्षण कहते हैं इन लक्षणों का विकास लड़कों में 15 से 18 वर्ष की आयु में तथा लड़कियों में 11 से 14 वर्ष की आयु में आरंभ हो जाता है जिसके द्वारा हम पहचान पाते हैं कि यह मनुष्य, नर है या मादा, नर – मादा के इस अंग को जनन अंग तथा इस तंत्र को नर – मादा जनन तंत्र (Male And Female Reproductive Systems) कहते है।

नर – मादा जनन तंत्र – Male And Female Reproductive Systems

जीवो मे सबसे मुख्य अंगो मे एक अंग जनन अंग   है जीवो मे पाए जाने वाली सभी क्रियाओ का मूल अंग है इस जनन अंग मे ऊर्जा का शुद्ध रूप है जीव द्वारा ग्रहण किया गए भोजन से उत्पन्न शक्ति को एकत्र कर के, एक  नये जीव को फिर से उत्पन्न करने की क्षमता जीव के जननांगो मे होती है जिसको हम जनन अंग कहते है और इससे होने वाली क्रिया को जनन तंत्र।

नर के गोंण लैंगिक लक्षण

यौवनारंभ के साथ लड़को मे निम्नलिखित परिवर्तन शुरू हो जाते है:
1- शुक्रजनन नलिकाएँ, शुक्राणुओ का निर्माण शुरू कर देती हैं।
2- वृषण कोशो और शिशन के आकार मे वृद्धि।
3- चेहरे और शरीर पर बाल उगने चालू हो जाते हैं।
4- कंधे चौड़े हो जाते हैं तथा अस्थियों के आकार में भी वृद्धि होनी चालू हो जाती है और मांसपेशियां उभर कर सामने दिखाई देने लगती है।
5- स्वर भारी होने लगता है और शरीर की लंबाई में भी वृद्धि होने लगती है।

इसी प्रकार मादा (स्त्रीलिंग) मे भी शारीरिक तौर पर बदलाव आने चालू हो जाते हैं जो निम्नलिखित रूप से हैं।

Male And Female Reproductive Systems:- शरीर के भीतर वक्रक (kidney) कैसे जनन अंगो से जुड़ कर, कार्य करती है। विस्तार से जाने।।

स्त्री मे पाए जाने वाले गोंण लैंगिक लक्षण

यौवनवस्था आरंभ होने पर लड़कियों में निम्नलिखित रूप से  होने वाले शारीरिक परिवर्तन।
1- अंडोंउत्सर्ग चक्र तथा आर्तव चक्र का प्रारंभ होना।
2- बाहरी जनन अंग तथा स्तनों का विकास होना।
3- श्रॉणी प्रदेश का फेलकर चौड़ा होना।
4- कक्षीय और जनन अंगो मे बालों का उगना

नर और मादा की पहचान हम इस प्रकार के चिन्हों को देखकर या अनुभव करके हम पता कर सकते हैं इसके अलावा जो नर और मादा के जनन अंगो में कुछ ऐसे बदलाव आते हैं जिनकी वजह से इनमें नये जीव को उत्पन्न करने की क्षमता पैदा हो जाती है।

>सबसे पहले हम जानते हैं नर के जनन अंग को।
>दूसरे पहले हम जानते हैं स्त्री के जनन अंग को।

पुरुषों में यौवनारंभ का प्रारंभ होना

जिस समय पुरुषों में यौवनावस्था का आरंभ होता है तो उसके शरीर मे कुछ शारीरिक परिवर्तन आना आरंभ हो जाते हैं जिसमें नर जनन अंग अपना कार्य प्रारंभ करता है तो इस प्रकार की अवस्था को यौवनारंभ कहते हैं यह सामान्यतः  पुरुषों मे 15 से 18 वर्ष की आयु में होता है शारीरिक रूप से यौवनारंभ होते ही टेस्टोस्टेरोन हार्मोन उत्पन्न होने लगते हैं यह हार्मोन वृद्धि और गौण लैंगिक अंगो को सुचारू रूप से परीपक्वता का नियामक करता है।

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नर जनन तंत्र् (Male Reproductive System)

मानव मे नर का जनन तंत्र इन सभी अंगों से मिलकर बना होता है जिसमे है- वृषण (Testes), अधिवृषण (Epididymis), शुक्राशय (Seminal vesicle), शुक्रवाहिका (Vas Deferens), काउपर ग्रंथि (Cowper’s Gland), प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland), और शिशन (Penis) होता है जनन तंत्र् मे शुक्राशय, प्रोस्टेट ग्रंथि व काउपर ग्रंथि के द्वारा स्रावित द्रव शुक्राणु द्रव (spermatic fluid) का अधिकाश भाग को बनती है।

आईए जानते हैं ये किस प्रकार जनन तंत्र से जुड़े रहते हैं।

नर जनन तंत्र के अंदर वृषणों का केवल एक जोड़ा ही होता है ये उदर गुहा के बाहरी त्वचा की बनी थैली अर्थात वृषण को कौषसो में स्थित रहते हैं यह वृषण पतली त्वचा से बनी होती है और यह वृषण को कौषसो की दीवारों से द्वढ तंतुओ द्वारा जुड़े रहते हैं वृर्षणों से एक पतली सकरी लंबी लगभग 6 मीटर लंबी नली निकलती है जिसे शुक्रवाहिनी कहते हैं।

शुक्रवाहिनी विस्तार पूर्वक

शुक्राणु का निषेचन इन शुक्रवाहिनी नलिकाओं के द्वारा ही हो पता है इसका निकटस्थ अधिकांश भाग वृषण के कोषों के भीतर ही कुंडलित रहते हैं जिसे हम एपडिडाईमिस कहलाता है इसका शेष और दूसरे भाग उधर गुहा में प्रवेश करते हैं और मूत्र नाल में खुलता है मूत्राशय की मूत्र नाल में मूत्र नाल एक पेशीय मोटी नली होती है यह शिशन के दो रास्ते सिरे पर खुलता है इस प्रकार हम देखते हैं कि पुरुष में मूत्र और शुक्राणु दोनों ही मूत्र नाल द्वारा ही बाहर निकलते हैं पेरेनियल ग्लैंड तथा रेक्टल ग्लैंड भी होते हैं जिसका स्त्राव यूरेथा अर्थात मूत्र मार्ग को चिकना सा कुछ बनाए रखने का कार्य और विशेष प्रकार के गंध को उत्पन्न करने का कार्य करता है।

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वृषणों के कार्य और शुक्राणुओं की संरचना

जब मनुष्य मे यौवनअवस्था का आरंभ हो जाता है तो वृषणों में कुछ हारमोंस बदलाव आने चालू हो जाते हैं और जिस कारण वृषणों में नये हारमोंस का और शुक्राणुओं का निर्माण होना चालु हो जाता है जिसे गुणसूत्र का हेप्लॉयड सेट कहते है। 23 गुणसूत्र। मध्य भाग में अनेको माइटोकंड्रियला सर्किल क्रम में व्यवस्थित होकर माइटोकंड्रियल सेट बनाते हैं इस के द्वारा शुक्राणुओं के चान के लिए ऊर्जा एटीपी (ATP) प्रदान करता है।

उत्तेजित शिशन (Aroused Panis)

सामान्य तौर पर पुरुष का शिशन शीतल अवस्था 1 से 2 सेंटीमीटर लम्बा रहता है जब शिशन उत्तेजित होता है तो उसके आकार और लंबाई में बदलाव आ जाता है जिसमें शिशन की 7 से 8 सेंटीमीटर लंबाई और 2 से 3 सेंटीमीटर व्यास में मोटा हो, दृढ़, एवं सीधा कड़ा हो जाता है। जब संभोग काल के दौरान यह लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश करता है और फिर स्खलनगित होने के बाद, वह पून: अपने शीतल अवस्था में वापस आ जाता है।

मादा जनन तंत्र (Female Reproductive System)

मादा जनन तंत्र के मुख्य अंक दो अंडाशय(Ovaries) और अंडवाहिनी(Oviduct) या गर्भाशय(Uterus), योनि(Vagina) एवं भग(Vulva) होते है योनि का पुर्ण विकास स्त्री मे 12-13 वर्ष की आयु में शुरू हो जाता है।
एक जोड़ी अंडाशय वृक्क(kidney) के नीचे उदरगुहा में पृष्ठतल पर चिपके रहते हैं अंडाशय के समीप से अंडवाहिनी (Oviduct) या डिम्बवाहिनी(Fallopin tube) शुरू होती है दोनों और की डिम्बवाहिनी नलिकाएँ जोड़कर एक बड़ा कोस्ट बनाती है जिसे सामान्य भाषा में गर्भाशय कहते हैं  गर्भाशय से एक छोटे कोष्टी योनि(Vagina) में जाकर खुलता है और योनि भगद्वार द्वारा बाहर की तरफ रहता हैं स्त्री की योनि मे पुरुष का लिंग् (शिशन) के समजात क्लाईटोरिस (clitoris)  मे जाकर प्रवेश करता है स्त्री की योनि लगभग 8-10cm लम्बी मर्सल नलिका होती है जो संभोग के समय लिंग को ग्रहण करती है।

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उत्तेजित योनि  (Aroused vagina)

जिस समय स्त्री की योनि उत्तेजित होती है उसे समय उसके अंदर के शरीर में काफी बदलाव आते है स्त्री की योनि के अंदर 8 से10 सेंटीमीटर लंबी मार्शल नलिका में एक अलग खिंचाव उत्पन्न होता है जो स्त्री की योनि, पुरुष के शिशन को ग्रहण करने के लिए तैयार करती है उसके योनि उत्तेजित होने पर स्त्री की योनि के अंदर से एक भी चिकना पदार्थ निकलता है जो पुरुष द्वारा ग्रहण किए गए लिंग् को चिकन बनाए रखने के लिए कार्य करती हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

यह शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है जनन तंत्र का भी एक अलग महत्व है इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना कि इसकी जरूरत हमारे शरीर में कितनी महत्वपूर्ण है यदि यह हमारे शरीर के भीतर न हो तो एक नई जीवन की उत्पत्ति नही हो पाती, या हमारे शरीर के अंदर से विसर्जित / अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलने का कार्य नहीं कर पाती।


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मादा जनन तंत्र कैसे होता है?

क्लाइटोरिस के नीचे एक छोटा सा छेद होता है यह मादा के मूत्र मार्ग के बराबर मे होता है

नर जनन अंग क्या है?

शिश्न और वृषण हैं दोनों ही वीर्य और शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।

मादा में निषेचन कहाँ होता है?

क्लाइटोरिस नलिका के भीतर डिंबवाहिनी नलिका मे।

अंडाशय कहाँ स्थित होते हैं?

यह महिलाओ मे श्रोणि (कूल्हों के बीच का निचला क्षेत्र) में 2 छोटे, अंडाकार आकार के अंग के रूप मे होते हैं।

पुरुष के शुक्राणु महिला के शरीर को क्या करते हैं?

यह बॉडी मे परिवर्तित अंडे देना, भोजन, प्रतिरक्षा, नींद के पैटर्न, जल संतुलन और यौन संबंध शामिल हैं।

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