पाचन तंत्र में कितनी ग्रंथियाँ होती हैं?”How Many Glands Are There In Digestive System?”Digestive System-1कार्य,रचना सहित वर्णन।

Digestive System किसी भी जीव जंतु में भोजन को पचाने के लिए उनमें उपस्थित ग्रंथियाँ का मुख्य काम होता है! ग्रंथियां ही भोजन को पचाने के लिए के लिए जिम्मेदार होती हैं इन ग्रंथियाँ के द्वारा ही, किसी भी भोजन के स्वाद का अनुभव तथा भोजन का पाचन सम्भव हो पाता है अतः इसको विस्तार पूर्वक समझने के लिए हम इसको अलग-अलग भागों में विभाजित करके..!
> इसकी पूरी प्रक्रिया को समझते हैं

Table of Contents

मनुष्य मे पाचक ग्रंथियाँ (Digestive System)

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पाचन ग्रंथियो को हम निम्नलिखित रूप से कई भागों में विभाजित करते हैं जो इस प्रकार है।

मनुष्य मे लार ग्रंथि


मुख द्वारा भोजन को लेते समय मुख के भीतर में से एक प्रकार का चिकना तरल पदार्थ का स्राव होता है। यह चिकन तरल पदार्थ मुख में उपस्थित भोजन को मुलायम और चिकन बनाने का काम करता है इस पदार्थ को हम लार ( Salivary ) कहते हैं इस लार मे ही पाचक रस पाए जाते हैं, यह पाचक रस भोजन को पचाने में सहायता प्रदान करता है मुख के भीतर जीभ (Tongue) के दोनों तरफ तीन – तीन लार ग्रंथियां पाई जाती हैं यह ग्रंथियाँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं।

मनुष्य मे मूल ग्रंथियां


यह संख्या में दो होती हैं एक जिसमें जीव के दाएं और तथा एक जीव के बाएं और होता है।

मनुष्य मे जिव्हा ग्रंथियां


यह दो प्रकार की होती हैं और जीभ के नीचे तालु में उपस्थित होते हैं।

मनुष्य मे जबड़े के नीचे की ग्रंथियां


यह भी संख्या में दो ही होती हैं और जीभ के नीचे ही स्थित होती हैं।

मनुष्य का यकृत (Liver)


मनुष्य के शरीर में सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत होती है जो पित्तरस को उत्पन्न करने का काम करती है यह उधर गुहा में दाहिने और स्थित होता है इसका भार लगभग 1.5 किलोग्राम का होता है इसके ऊपर एक थैली लटकी रहती है जिसे हम पित्त (Bile) बोलते हैं इसमें पित्तरस एकत्रित रहता है यह एक नली पित्तरस को ग्रहणी तक पहुंचाने का काम करती है इस नली को पित्तनली कहते हैं।

यकृत के कार्य


>मनुष्य शरीर मे यकृत कोशिकाएं हिपेरिन नामक जैसे पदार्थ का स्त्राव किया करती हैं जोकि शरीर के भीतर रुधिर वाहिनियों से रुधिर (Blood) को जमने से रोकती है।

>आमाशय रस के अम्लता को प्रभावहीन करने के लिए पित्त का स्त्राव होता जाता है और भोजन को क्षारीय बनाने का काम भी इसी का होता है


>पेट मे पचे हुए अवशोषित प्रोटीन पदार्थ को पेप्टोन और अमीनो एसिड के रूप में संचित रखने का काम करता है

>आमाशय में वसा का पायसीकरण पित्तरस के द्वारा ही संभव हो सकता है

>लीवर शरीर के संचरण का 1/3 रक्त को संचारित करने का काम करता है।

> हड्डियों के भीतर रुधिर के निर्माण में इसकी अहम भूमिका है क्योंकि यकृत के भीतर लाल रक्त कणों का संचय होता है और निर्माण का कार्य और टूट-फूट आदि के कार्य में भी यकृत की ही  अहम भूमिका होती है।

>रुधिर के अंदर में फाइब्रोनोजेन का निर्माण होता है जो रुधिर को जमाने में सहायता प्रदान कर देता है

>यकृत को हम शरीर का भंडार ग्रह भी कहते है भोजन के पाचने के बाद रुधिर में जरूरत से ज्यादा अधिक ग्लूकोज को पहुंचना होता है तो वही यकृत की कोशिकाओं में ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित होना शुरू हो जाती है।

>मनुष्य के शरीर में छोटी आंत ग्रहणी होती हे और इसके अलावा आमाशय में प्रोटीन के पाचन द्वारा बने अमीनो अम्लों को रुधिर लीवर (Liver) में ले जाता है यहां इन्हें यूरिया में बदलकर मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकालने का काम होता है, अगर शरीर में यूरिया ना निकले तो शरीर में गठिया रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

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मनुष्य मे अग्नाशय


शरीर मे आमाशय के ठीक पीछे वाले भाग मे अग्नाशय नाम की एक बड़ी ग्रंथि उपस्थित होती हैं इसकी लंबाई 18 cm और चौडाई 4 cm की होती हैं यह लाल रंग की संरचना वाली होती हैं इसका दाहिना सिरा कुछ चौडा तथा बायाँ सिरा प्लाही से पूरी तरह चिपका रहता है इसमें अग्नाशयीक रस का निर्माण होता है यह जो रस होता है यह रंगहीन होता है और तरल पदार्थ के रूप में होता रहता है अग्नाशय से अग्नाशय रस तक लेकर अग्नाशक नलिकाओं के द्वारा ग्रहणी में पहुंचने का काम होता है।

पूरे भोजन के पाचन में अग्नाशयिक रस का कार्य।

मनुष्य शरीर में अग्नाशय के तीन मुख्य रूप से एंजाइम पाए जाते हैं।

एमाइलॉप्सिन या एमाइलेज


शरीर मे इसका काम एंजाइम्स को शर्करा के रूप में बदलने का होता है मुख द्वारा भोजन लेने के पश्चात लार के प्रभाव से जो कार्बोहाइड्रेट बच जाता है उसको वह एंजाइम के प्रभाव से शर्करा में बदलने का कम माइलेज का होता है

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लाइपेज या स्टिएप्शेन


शरीर में इसका काम भोज द्वारा लिए गए वास को वसा अम्ल के रूप में परिवर्तित करने का होता है और जो रुधिर तथा ऋ’षिका द्वारा अंत में अवशोषित कर जाते हैं

ट्रिप्सिन


मुख द्वारा भोजन को लेने के बाद उसमें उपस्थित प्रोटीन पदार्थ अंश को बचाकर अमीनो एसिड में बदलने का काम ट्रिप्सिन का होता है।

मनुष्य पाचँन का प्रारूप


शरीर में अग्नाशय की लेंगरहैंस के एक समूह की कोशिकाये के कोशिका इंसुलिन नामक एक हारमोंस को बनाने का काम करती हैं यह हारमोंस ग्लूकोज के उपापचय क्रिया को पूरी तरह नियंत्रित रखती हैं और शरीर में स्रावित रुधिर में सामान्य स्तर से अधिक ग्लूकोस होने पर उसे नियंत्रित कर एक इंसुलिन के रूप में प्रभावित करती हैं और उसे ग्लाइकोजन में बदलने की क्रिया इंसुलिन के प्रभाव से होता है अगर अग्नाशय ग्रंथि में इंसुलिन कम बनने लगता है तो रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा शरीर की आवश्यकता से अधिक हो जाती है और मूत्र के साथ ग्लूकोज आने लगना शुरू हो जाते हैं इसे मधुमेह रोग (Diabetes) कहते हैं।

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मनुष्य मे छोटी आँत में पाचन


छोटी आँत पेट में सबसे लंबी आँत होती है इसकी लंबाई 6 से 7 मीटर तक नापी गई है यहां पर बचा हुआ भोजन शरीर में अवशोषित होना शुरू होता है इस भोजन के अंदर उपस्थित रस का स्त्राव छोटी आंत की दीवारों से आंतरिक रस निकलता है और वह आंतरिक रस शरीर के भिन्न-भिन्न शिराओं में रक्त के माध्यम से जाकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता हैं यह एक एंजाइम के रूप में कार्य करता है इसमें कुछ एंजाइम्स इस प्रकार है।

1- इरेप्सिन


इसका कार्य शरीर में बचे हुए प्रोटीन और पेप्टोन को सामान्य प्रक्रिया द्वारा अमीनो अम्ल में परिवर्तित करने का होता है और अमीनो अम्लों के रूप मे विभिन्न भागों में रक्त के माध्यम से शरीर में पहुंचता है ।

2- माल्टोज


इसका कार्य शरीर में उपस्थित माल्टोज को ग्लूकोस में परिवर्तित करके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को पूरा करता है।

3- सुक्रोज


इसका कार्य शरीर में सुक्रोज की मात्रा को प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित करके ग्लूकोस एवं फ्रुक्टोज में परिवर्तित करने का होता है।

4- लैक्टोज


इसका कार्य शरीर में उपस्थित लैक्टोज को ग्लूकोस एवं ग्लूकोसम में परिवर्तित करने का होता है।

5- लाइपेज


मनुष्य के शरीर में बनने वाली वसा जिसको हम एमूलसिफाइड कहते हैं को परिवर्तित करके ग्लिसरीन और उसमें उपस्थित फैटी एसिड में परिवर्तित करने का काम लाइपेज का होता है।

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आंतरिक रस का स्राव


मनुष्य शरीर मे आंतरिक रस क्षारीय रूप मे होता है। सभी स्वस्थ मनुष्य में लगभग प्रतिदिन 2 लीटर आंतरिक रस का स्राव होता है।
यह तीन रूपों में विभाजित है…

1- अवशोषण


मनुष्य के शरीर में बच्चे हुए भोजन की शिराओं के माध्यम से रुधिर में पहुंचना और उसका शोषण होना उसे अवशोषण कहते हैं बचा हुआ भोजन का अवशोषण छोटी आंत की माध्यम से रचना उधिर्ग ( Villi ) के द्वारा होती है।

2- स्वांगीकारण


शरीर में अवशोषित हुए भोजन को शरीर के उपयोग में ले जाने की क्रिया को स्वांगीकरण कहते हैं।

3- मल त्याग


जब शरीर में लिया गया भोजन छोटी आँत से निकलकर अपच भोजन के रूप में बड़ी आँत में जाता है तो यहां जीवाणु इस मल के रूप में बदल देते हैं जिसे गुदा द्वार द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

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निष्कर्ष


मनुष्य के पाचन तंत्र में उनकी ग्रंथियां का अहम कार्य होता है इन ग्रंथियां के द्वारा ही हम अपने भोजन को कई भागों में भी विघटित करके उसको  पचा पाते हैं और उसमें उपस्थित पोषक तत्वों को ग्रहण करके शरीर में ऊर्जा के रूप में ग्रहण कर पाते हैं तो इस आर्टिकल के माध्यम से हमने पाचन तंत्र की अहम भूमिका निभाने वाली ग्रंथियों के बारे में जाना है।


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पाचन ग्रंथियां कौन कौन सी होती है?

पाचंन् ग्रंथि मे मुख्य रूप से – जीभ, लार ग्रंथि,अग्नाशय, आमाश्य, यकृत, पिताश्य आदि आते हैं।

कुल कितनी ग्रंथियां होती हैं?

मनुष्य मे लगभग, 600 ग्रंथियाँ होती हैं।

दूध ग्रंथियां क्या है?

दूध ग्रंथियाँ केवल स्तनधारी मे होता है।

मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम क्या है?

लीवर

तेल ग्रंथियां क्या है?

त्वचा से निकलने वाली ग्रंथि को तेल ग्रंथियाँ कहते है।

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