“Respiratory Cycle”श्वसन चक्र और श्वसन दर क्या है?”[मनुष्य श्वसन की क्रियाविधि आसान शब्दो मे] Total

Respiratory Cycle:- श्वसन चक्र और श्वसन दर एक प्राकृतिक घटना है जिसमें जीवधारीयो के शरीर में श्वसन चक्र में वायु को ग्रहण करने और फेफड़ों से वायु को निकालने की दोनों ही क्रियाएं होती हैं 1 मिनट में जितनी बार वायु का निश्वसन होता है उसे हम श्वसन दर कहते हैं यह छोटे बच्चों में अधिक और बुजुर्गों में काम होता है यदि विश्राम की अवस्था में कोई व्यक्ति है तो उसमें इसकी औसतन 12 से 15 प्रति मिनट होती है।
कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन शरीर की कोशिकाओं से फेफड़ों तक ले जाने मे हीमोग्लोबिन के द्वारा मुख्य रूप से केवल 10 से 20% तक ही हो पाता है।

फेफड़ों मे जल और वायु की मात्रा

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प्रत्येक व्यक्ति श्वसन चक्र (Respiratory Cycle ) द्वारा जल और वायु का आदान-प्रदान करता रहते है, एक व्यक्ति केवल सांस द्वारा ही 400 ml, जल प्रतिदिन अपने शरीर से बाहर निकलता है और सामान्यतः फेफड़ों के भीतर वायु कोष्ठों मे 2300 ml, कार्यात्मक वायु अर्थात,अवशेष (अशुद्ध) वायु सदा फेफड़ों में भरी रहती हैं मनुष्य के फेफड़े कभी भी पुरी तरह वायु रहित नहीं होते हैं।
फेफड़ों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा फेफड़ों में अवश्य होती है, इसी कारण मनुष्य यदि अपना नसिका रन्धो को बंद कर ले तो भी वह कुछ समय तक वह जीवित रह सकता है।

कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन श्वसन के माध्यम से रक्त परिसंचरण तंत्र तक


यह निम्नलिखित रूप से दो प्रकार से होते हैं

(a) प्लाज्मा में घुलकर


श्वसन चक्र (Respiratory Cycle ) द्वारा शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड प्लाज्मा के भीतर घोलकर कार्बनिक अम्ल का निर्माण करता है इस रूप में 7% कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन होता है।

(b) बाइकार्बोनेटेस के रूप द्वारा


यदि शरीर में बाई कार्बोनेटेस की बात करें तो यह  कार्बन डाइऑक्साइड का 70% भाग को परिवहन करता है और वह रुधिर के पोटेशियम और सोडियम के साथ मिलकर पोटेशियम बाइकार्बोनेट और सोडियम बाई कार्बोनेट का निर्माण करने मे मदद करते हैं।

फेफड़ों में आंतरिक श्वसन


जब नासिक रंध्रो द्वारा श्वसन चक्र (Respiratory Cycle) फेफड़ों के भीतर प्रवेश करता है तो उसे होकर ऑक्सीजन के छोटे-छोटे अणु रुधिर के माध्यम से एवं उत्तक द्रव के बीच गैसीय विनिमय में होते हैं जिसे हम आंतरिक श्वसन कहते हैं यह क्रिया 24*7 घण्टे चलती रहती हैं।

फेफड़ों में कोशिकीय श्वसन


मनुष्य शरीर में खाद्य पदार्थों के पाचन के दौरान प्राप्त ग्लूकोज को कोशिका के द्वारा ऑक्सीजन में और ऑक्सीजन के द्वारा ऑक्सीकरण कराया जाता है इस क्रिया को हम कोशिका श्वसन कहते हैं इस कोशिका श्वसन के भी दो प्रकार होते हैं जिसमें एक है (a) अनाक्सी श्वसन, और एक है (b) ऑक्सी श्वसन।
चलिए जानते हैं क्या है ऑक्सी श्वसन और क्या है अनाक्सी श्वसन |यह दो प्रकार के होते है!

ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)


ऑक्सी श्वसन एक ऐसी क्रिया जिसमें ऑक्सीजन का उपस्थित होना आवश्यक है इस क्रिया में भोजन द्वारा ली गई पदार्थों का पूरा ऑक्सीकरण होता है जिसके कारण उसमें उपस्थित CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड )एवं h2o (जल) दोनों बनते हैं और काफी अधिक मात्रा में ऊर्जा का विमुक्त होती है।
अर्थात, “इस पूरी प्रक्रिया में शरीर के अंदर भोजन द्वारा लिए गए सभी खाद्य पदार्थों में ऑक्सीजन की मात्रा मिश्रित हो जाती है और वह धीरे-धीरे करके ऑक्सीजन रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में  पहुंच जाता है’!


C6H12O6 + 6O2 ——- 6CO2 + 6H2O + 2830 kJ ऊर्जा

अनाक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration)


एक ऐसी क्रिया जिसमें श्वसन चक्र (Respiratory Cycle) ऑक्सीजन के बगैर होता है उसे हम अनाक्सी श्वसन कहते हैं।
यदि शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो उसे समय ग्लूकोज में बैगर ऑक्सीजन के कारण मांसपेशियों में लैक्टिक अम्ल (lactic acid) और बैक्टीरिया(Bacteria) एवं यीस्ट(Yeast) की कोशिकाओं में एथाईल अल्कोहल विघटित हो जाना शुरू हो जाता है इसे शर्करा का किर्णवन (Suger fermentation)भी कहा जाता हैं इसके अंतर्गत होने वाले पुरे पराक्रम को हम ग्लाइकोलाइसिस कहते हैं।
अर्थात, लिए गए भोजन के खाद्य पदार्थों में ऑक्सीजन की कमी होने पर उसमें उपस्थित मिश्रित ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश नहीं कर पता है जिसके फलस्वरुप शरीर में दर्द और अकड़न महसूस होने लगती है इसके अलावा शरीर में ऊर्जा की कमी,थकान महसूस होना और  सिर में दर्द जैसी समस्या आपको देखने को मिल सकती हैं।

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ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis)


ग्लाइकोलाइसिस, इसका अध्ययन  सर्वप्रथम एम्बडेंन, मेयरहॉक, पारसन ने करा था। इसलिए इसको EMP पथ भी कहते हैं इसको ऑक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration) या शर्करा किर्णवन भी कहा जाता है इस क्रिया मे जब ऑक्सीजन नही होता तब उस समय ऊर्जा मुक्त होती है ।
इस प्रकार की अवस्था ऑक्सी(Aerobic) एवं अनाक्सी (Anaerobic) दोनों प्रकार के श्वास में उपस्थित होती है इस प्रक्रिया को आरंभ करने में दो अणु ATP खर्च होते हैं किंतु प्रक्रिया के अंत में चार अणु ATP प्राप्त होते हैं।

ग्लाइकोलाइसिस ऊर्जा


ग्लाइकोलाइसिस के फलस्वरुप दो अणु ATP ऊर्जा प्राप्त होती है अर्थात 16000 कैलोरी (2*8000) ऊर्जा प्राप्त होती है एक ग्लूकोस अणु द्वारा ग्लाइकोलाइसिस में विघटन के फलस्वरूप पाईरुविक अम्ल के दो अणु बनते है जिसको हम एटीपी(ATP) और एडीपी (ADP) के नाम से जानते हैं अध्यनो मे देखा गया कि ग्लाइकोलाइसिस में ऑक्सीजन की कोई आवश्यकता नहीं होती है इस कारण यह प्रक्रिया ऑक्सी श्वसन और अनाक्सी श्वसन मे एक-जैसी होती है इसमें Respiratory Cycle का मुख्य काम है इसमें हाइड्रोजन के चार परमाणु का निर्माण होता हैं जिस द्वारा NAD और 2NADH2 में बदलने का काम करते हैं।

इस क्रिया मे क्रेब्स चक्र


क्रेब्स चक्र का सबसे पहले वर्णन हैंस क्रेब ने सन् 1937 ई.वी में दिया था इसको साईट्रिक अम्ल चक्र या ट्राईकार्बाॅक्सीलिक चक्र भी बोला जाता है ।
ये चक्र में यह माइक्रोकोंडिया(Mitochondria) के अंदर विशेष प्रकार के एंजाइम की उपस्थिति द्वारा ही  संपन्न हो पाता है इसमें ADP के दो अणु और ATP के दो अणु तेयार होते है, इस चक्र में हाइड्रोजन (H2) के दो-दो परमाणु पांच बार ऊर्जा के रूप मे मुक्त होते हैं इस पूरे चक्र मे दो अणु पाईरुविक अम्ल के होते हैं अतः इसमें कुल 6 अणु कार्बन डाइऑक्साइड के बने होते हैं सभी मनुष्य के तंत्र में अधिकतम ATP अणु का निर्माण जब क्रेब्स चक्र  के दौरान ही हो जाता है।

ऊर्जा का उत्पादन (Production of Energy)

बॉडी मे पाईरुविक अम्ल के अणु के ऑक्सीकरण द्वारा ATP का एक अणु व NADH के पाँच व एक अणु FADH 2 का बनता है NADH के एक अणु से तीन अणु ATP के और FADH 2 के एक अणु से ATP के 2 अणु प्राप्त हो जाते हैं इस प्रकार पाईरुविक अम्ल की एक अणु से 1 + (3 * 5) + 2 * 1 = 18 अणु ATP के बनते हैं। और ग्लूकोज के एक अणु से पाईरुविक अम्ल के अणु बनते हैं। जिससे 36 अणु ATP के ही प्राप्त हो जाते हैं। ग्लाइकोलाइसिस के दौरान भी 2 ATP अणुओ मे लाभ प्राप्त होता है अतः ग्लूकोज के एक अणु द्वारा श्वसन से कुल 2 + 36 = 38 ATP अणु प्राप्त होता है।

स्वसनी पादर्थ/श्वसन चक्र (Respiratory Cycle)


कार्बोहाइड्रेट वसा प्रोटीन प्रमुख स्वसनी पदार्थ है शरीर मे सबसे पहले कार्बोहाइड्रेट का श्वसन होता है इसके बाद मे वसा का श्वसन होता है कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का भंडार समाप्त हो जाने के बाद ही प्रोटीन का श्वसन होता है।

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श्वसन दर पर ऊंचाई का क्या प्रभाव (Effect of Hight on Respiratory Rate)


धरती मे वायु का घनत्व (Density of air) समुद्र की सतह से ऊपर उठने जाने पर कम हो जाता है। जिस कारण उसमें उपस्थित गैसों का वायुदाब भी कम हो जाता है अत: यही कारण से पहाड़ों पर चढ़ते समय पहाड़ों पर ऊंचाई के साथ-साथ O2 (Oxygen) की मात्रा कम हो जाती है शरीर में O2 की कमी हो जाने पर फेफड़ों मे श्वसन फूलने लगता है एवं शोषण दर बढ़ जाती है विभिन्न ऊंचाइयों का श्वसन दर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ना चालु हो जाते है ।


(A)- 3500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर O2 की अधिक कमी के कारण थकावट, शिथिलता तथा सिर में दर्द और जी मिचलाना आदि का आभास होना शुरू हो जाता है!


(B)- 5000 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर शरीर के रुधिर से CO2 कार्बन डाइऑक्साइड) निकलने से  pH बढ़ जाता है, जिससे श्वसन दर भी बढ़ने लग जाती है।


(C)- 6000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होने लग जाती है और व्यक्ति को मूर्छा भी आने लगती है इस समय कृत्रिम O२(ऑक्सीजन) की आवश्यकता होती है।


(D)- 11000 मीटर या उससे ऊपर कृत्रिम O२ द्वारा भी काम नहीं हो पाता इस कारण हवाई जहाज मे (Artificial oxygen) यान के अंदर दिया जाता हैं।

श्वसन चक्र और श्वसन दर क्या है?

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Conclusion (निष्कर्ष)

इस आर्टिकल मे हमे श्वसन चक्र (Respiratory Cycle) और श्वसन दर को विस्तार पूर्वक समझने को पाया जाना कि जीव जंतुओं एवं मनुष्यों मे श्वसन की प्रक्रिया किस प्रकार काम करती हैं और यह भी जानने को मिला की, कौन-कौन तत्व इस क्रिया मे मुख्य भाग लेते हैं।

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मनुष्य का श्वसन दर कितना है?

साधारण रूप से 12-20 बार 1 मिनट मे श्वसन दर होती हैं।

24 घंटे में कितनी बार सांस लेते हैं?

21500 बार लगभग

शरीर मे oxygen का काम क्या है

ऑक्सीकरण का काम करता है

मनुष्य कितने प्रतिशत ऑक्सीजन में सांस लेता है?

स्वस्थ व्यक्ति मे 21 ℅ Oxygen साँस लेते समय जाती हैं।

बच्चों में श्वसन दर कितनी होती है?

नवजातबच्चों मे 45/mint

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