Class 12th”मनुष्य में कौन सा कोशिका विभाजन होता है”Which cell division occurs in humans?

मनुष्य में कौन सा कोशिका विभाजन होता है (Which cell division occurs in humans):- कोशिका विभाजन की प्रथम सीढी इसको मानी जाता है जब कोशिकाएं बनती हैं तो इसका विभाजन होना शुरू हो जाता है और इसकी खोज सबसे पहले 1855 ई में विचार जो ने देखा था।

मनुष्य में कौन सा कोशिका विभाजन होता है (Which Cell Division Occurs In Humans)


सभी जीव-जंतु कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं और सभी कोशिका सभी जीवो में अलग-अलग प्रकार से कार्य करती हैं इसी प्रकार विज्ञान की भाषा में हमने कोशिका को तीन प्रकार से मुख्य रूप से विभाजित किया है।

1- समसूत्री विभाजन (Mitosis)
2- अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis)
3- असूत्री विभाजन (Amitosis)

इस जगत में इन तीन प्रकार के विभाजन से जीवो में कोशिका का एक कोशिका से दूसरी कोशिका बनने की प्रक्रिया आरंभ होती है तो चलिए आज हम जानते हैं इन तीनों को कोशिका विभाजन में कौन-कौन से जीव आते हैं और यह प्रक्रिया किस प्रकार से होती है।

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1- समसूत्री विभाजन


इस प्रकार की कोशिका विभाजन को सबसे पहले जर्मन के जीव वैज्ञानिक वालॉथेर फ्लेमिग ने सन् 1879 ई. में दिया था। उन्होंने अध्ययनों में पाया कि यह एक कायिक कोशिका (Somatic cell) में होने वाली विभाजन की प्रक्रिया है जिसको इन्होंने कायिक कोशिका (Somatic cell) मे पाया । जिस कारण इन्होंने इसको सन् 1882 ई में इस पूरी प्रक्रिया को माइटोसिस नाम से संबोधित किया।

समसूची विभाजन की पांच अवस्थाएं
> मुख्य रूप से समसूत्री विभाजन को अध्ययन के अनुसार पांच अवस्थाओं में विभाजित करने का फैसला किया, जो निम्नलिखित रूप से हैं…

1- अंतरावस्था (Interphase)
2- पूर्वअवस्था (Prophase)
3- मध्यअवस्था (Metaphase)
4- पश्चअवस्था (Anaphase)
5- अंतयाअवस्था ( Telophase)

Interphase


अंतरावस्था यह अवस्था दो कृमक चरणों के बीच होने वाली प्रक्रिया है इसमें दो कोशिकाएं आपस में एक दूसरे के संपर्क में आती है यहां से कोशिका के विभाजन की प्रथम शुरुआत होती है इसको हम कोशिका विभाजन का प्रथम चरण भी कहते हैं।

Prophase


पूर्वअवस्था इस अवस्था में दोनों फेज (cell) की कोशिका एवं नाभिकीय झिल्ली मे सुरक्षित विखंडन होना शुरू हो जाता है और उसे अपने संरेखित दोनों गुणसूत्र के द्वारा आपस में जोड़ने का कार्य प्रारंभ करना शुरू करते हैं  इस अवस्था मे दोनों गुणसूत्र से बने जोड़े खुद को इस तरह संरेखित करते हैं कि कोशिका का जो केंद्र एवं सभी सेंट्रोमियर प्रत्येक ध्रुव से आपस मे स्पिंडल फाइबर से ठीक प्रकार से जुड़ जाए।

Metaphase


मध्यअवस्था इस अवस्था मे गुणसूत्र का विभाजन पूर्ण रूप से होता, अर्थात सेंट्रोमियर का विभाजित होना शुरू होता है इसमें अलग किए गए क्रोमैटिड को स्वतंत्र संतति गुणसूत्र बनाये जाने के लिए प्रेरित किये जाते हैं।

Anaphase


पश्चअवस्था, इस अवस्था मे स्पेंडल फाइबर छोटे होना शुरू हो जाते है। यह सहयोगी क्रोमेटिड्स पर बल डालने लगते है और एक दूसरे को अलग अलग खीचते है। यह संतति कोशिकाओं मे गुणसूत्रों के एक समान सेट का लाने का कार्य आरंभ हो जाता है।

Which cell division occurs in humans

Telophase


इस अवस्था मे गुणसूत्र पतला होना शुरू हो जाता है। इसमें नाभकीय आवरण का बनता आरंभ होता है, मतलब प्रत्येक नये गुणसूत्र के समूह के चारों ओर नाभिकीय झिल्ली पुरी तरह बन जाती है। सभी संतति गुणसूत्र एक किनारों पर पहुंचते हैं। और प्रकिया को पुरा करते हुए स्पिंडल फाइबर पूरी तरह बनकर समाप्त हो जाते है।

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विभाजन


इन सभी कोशिका विभाजन के अंतर्गत एक जनक कोशिका मे से मुख्यत दो कोशिका का निर्माण होता है और सभी संतति कोशिकाओं में गुणसूत्र की संख्या,जनक कोशिका के बराबर ही होती है।

समसूत्री विभाजन


देखा गया है कि समसूत्री विभाजन की पश्चअवस्था सबसे छोटी होती है वह केवल 2-3 मिनट के दोरान् ख़तम हो जाती हैं।

अर्धसूत्री विभाजन


Farmer और Moore ने इसको सन् 1905 मे अर्धसूत्री विभाजन नाम दिया।
खोज को चरम सीमा तक पहुँचने मे और इस खोज (अर्धसूत्री विभाजन) को सबके सामने लाने वीजमेन (Weismann) को सर्वप्रथम रखा गया।  उन्ही ने पाया की अर्धसूत्री विभाजन किस प्रकार होता है।

Note:- अध्ययनों में पाया गया कि इसका विभाजन जनक कोशिकाओं के भीतर आसानी से होता है।

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अर्धसूत्री कोशिका विभाजन को निम्नलिखित रूप से दो चरणों में पूरा किया गया।
A- अर्धसूत्री -I
B- अर्धसूत्री -II

A– अर्धसूत्री -I :- अर्धसूत्री-1 विभाजन में इसकी संख्या अगर गुणसूत्र के मायने से देखें तो इसकी संख्या केवल आधी रह जाती है इसलिए इसे हम न्यूनकारी विभाजन (Reduction Divsion) भी कहते हैं इस संख्या की गुणवत्ता उस गुणसूत्र के आधे भाग पर होती है.
विभाजन
B- अर्धसूत्री -II :- अर्धसूत्री -II विभाजन में इसकी संख्या गुणसूत्र के मायने से देखा जाए तो यह इसकी संख्या पूर्ण होती है।

मानकों के अनुसार अर्धसूत्री विभाजन को मुख्य रूप से चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है
1- प्रोफेज-I
2- मेटाफेज़-I
3- एनाफेज-I
4- टीलोफेज-I

अध्यानो के अनुसार प्रोफेज-1 की यह अवस्था सबसे लंबी होती है जो की पांच अलग-अलग प्रकार की उपअवस्थाओं से पूरी होती हैं जो निम्नलिखित रूप से हैं।

a- लेप्टोटीन (Leptotene)
b- जाईगोटीन (Zygotene)
C- पेकीटीन (Pachytene)
d- डिप्लोटीन (Diplotene)
e- डायकिनेसिस (Diakinesis)

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a- लेप्टोटीन (Leptotene)


इसमें गुणसूत्र की संख्या दोगुनी (Diploid) होती है गुणसूत्र उलझे हुए और पतले धागे के रूप में दिखाई जैसे देते हैं जिन्हें हम क्रोमोनिमेटा कहते हैं।

b- जाईगोटीन (Zygotene)


इसमें प्रोटीन और आरएनए (RNA) संश्लेषण के द्वारा केंद्रक से भी बड़े हो जाते हैं समान जात के जितने भी गुणसूत्र हे वह एक साथ होकर जोड़े में बन जाते हैं जिन्हें हम सिनेपोलिस (Synepsis) कहते हैं केंद्रक एक दूसरे से विपरीत दिशा में ध्रुव की ओर जाने लगते हैं इन सब से मिलकर यह एक ध्रुव रूपी नुमा संरचना को उत्पन्न करती हैं और यह एक दूसरे को दोनों ध्रुवों से आपस में विपरीत दिशा में एक दूसरे को जकड़े हुए रहती हैं।

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C- पेकीटीन (Pachytene)


इस प्रकार की अवस्था में दोनों प्रकार के गुणसूत्र छोटा और मोटे होते जाते हैं द्विज का प्रत्येक सदस्य अनुधैर्य रूप से अलग-अलग होकर दो अनुजात गुणसूत्र या क्रोमेटिडो में बदलना शुरू हो जाता है इस प्रकार दोनों गुणसूत्र समंजात के एक द्विज से अब चार क्रोमेटिडो बन जाते हैं इसमें दो मृत और दो पितृ क्रोमेटेड होते हैं कभी-कभी यह भी देखा गया है कि मृत और पितृ क्रोमेटेड एक या एक से ज्यादा स्थान एक दूसरे को क्रॉस करते रहते हैं ऐसे बिंदु पर मृत या पितृ क्रोमेटेड टूट जाते हैं, और एक क्रोमेटेड का टूटा हुआ भाग दूसरे क्रोमेटेड के टूटे हुए भाग से जाकर जुड़ जाता है, इसे क्रॉसिंग ओवर के नाम से जाना जाता है एवं इस प्रकार जीन का नए ढंग से वितरण होना चालू हो जाता है अर्थात जीन विनिमय में पैकेटीन इन अवस्था में होता है इस अवस्था में रिकांबिनेज एंजाइम भाग लेना शुरू करते हैं।

Note:- क्रॉसिंग ओवर हमेशा नॉनस्टिर क्रोमेटेड के बीच होता है।

d- डिप्लोटीन (Diplotene)


इसके बाद आती है चौथी अवस्था डिप्लोटीन इस अवस्था में दो समजात गुणसूत्र अलग-अलग होने लगते हैं लेकिन जोड़ों के रूप में दो सदस्य पूर्ण रूप से अलग-अलग कभी भी नहीं हो पाते हैं क्योंकि वह कहीं ना कहीं एक दूसरे से (X)के रूप में आपस में उलझे हुए रहते हैं ऐसे स्थान को हम काईएजमाटा (Chiasmata) कहते हैं काईएजमाटा की संख्या को बारंबारता ( Chiasmata Frequency) के नाम से भी जाना जाता है काईएजमाटा की अत्यीकारण(Terminalisation) होना चालू हो जाता है जिस कारण से यह दोनों गुणसूत्र के बीच में एक गुणसूत्र कभी भी अलग नहीं हो पाते हैं।

e- डायकिनेसिस (Diakinesis)


यह कोशिका विभाजन की सबसे अंतिम अवस्था है इस अवस्था में केंद्रक कला और केंद्रीय पूर्ण रूप से दिखाना बंद हो जाते हैं।
अर्धसूत्री विभाजन-II समसूत्री विभाजन के ही जैसी होती है अर्धसूत्री विभाजन में एक जनक कोशिका से चार संतति कोशिका का निर्माण होता है और यह पूर्ण रूप से विभाजित होकर अलग-अलग सेल (Cell) में बदल जाती हैं।

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अर्धसूत्री विभाजन और समसूत्री विभाजन में कुछ मुख्य अंतर

                   समसूत्री विभाजन
1- इस विभाजन में समय कम लगता है.
2- इस विभाजन के फल स्वरुप गुणसूत्र के अनुवांशिक पदार्थ में आदान -प्रदान नहीं हो पता है.
3- यह विभाजन कायिक (Somatic) कोशिकाओं के भीतर होता है.
4- एक कोशिका से दो कोशिकाओं का निर्माण होता है.
5- इस विभाजन के फलस्वरुप संतति कोशिकाओं में जनक जैसी ही गुणसूत्र होने के कारण अनुवांशिक विविधता इसमें नहीं पाई जाती है.
6- इस विभाजन के फल स्वरुप चार अवस्थाओं में प्रथम अवस्था प्रोफेज अवस्था छोटी होती है.

                अर्धसूत्री विभाजन
1- इस विभाजन में अधिक समय लगता है.
2- इस विभाजन के फलस्वरुप गुणसूत्र के बीच अनुवांशिक पदार्थ का आदान-प्रदान स्वतह रूप से होता रहता है.
3-  यह विभाजन में जनक कोशिकाओं में होता है.
4- इस विभाजन के द्वारा एक कोशिका से चार कोशिकाओं का निर्माण होता है.
5- इस विभाजन मे संतति कोशिकाओं में जनक जैसी ही गुणसूत्र होने के कारण अनुवांशिक विविधता पाई जाती है.
6- इसकी प्रोफेज अवस्था बहुत लंबी होती है.

निष्कर्ष (Findings)


इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना की कोशिकाओं में किस प्रकार से विभाजन होता है और इस कोशिकाओं में किस प्रकार दो अवस्थाओं में विभाजित होकर, कोशिकाओं का अलग-अलग स्थान पर जीव जंतुओं में उत्पादन के लिए पूर्ण रूप से कार्य करते हैं।

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मनुष्य पुरुष में गुणसूत्रों की संख्या है

मनुष्य मे 23-23 जोड़ी गुणसूत्र यानी 46 गुणसूत्र होते है।

समसूत्री विभाजन में कितनी पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है

पैतृक कोशिका विभाजित होकर दो नई संतति कोशिकाओं को बनाती हैं।

समसूत्री विभाजन की अवस्थाएं

प्रथम चरण में कोशिका के केन्द्रक का विभाजन होता है। विभाजन के द्वितीय चरण में कोशिका-द्रव्य का विभाजन होता है

एम फेज में सबसे छोटा कौन सा है?

 छोटा चरण एनाफ़ेज़

सबसे सरल कोशिका विभाजन कौन सा है?

समसूत्री

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