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Respiration System”श्वसन में ऊर्जा का स्थानान्तरण कैसे होता है?” श्वसन की क्रियाविधि?

Respiration

Respiration System"श्वसन में ऊर्जा का स्थानान्तरण कैसे होता है?

Respiration _ हमारे प्रकृति में सभी जीवधारियों को अपने जैविक क्रियो के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जैविक ऊर्जा के लिए एकमात्र स्रोत सौर ऊर्जा है रे पादप सूर्य के प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऊर्जा को अपने पत्तियों के माध्यम से अपने भीतर एकत्रित कर लेते हैं, 

 यह ऊर्जा सूर्य की प्रकाश को ग्लूकोस के अणु में रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित करते हैं किसी भी पेड़ पौधे के लिए या जंतुओं के लिए अगर ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है तो वह हे सौर ऊर्जा स्रोत।

    ऑक्सीजन युक्त भोजन के अंगों में इन अणु को धीरे-धीरे पादप ऊर्जा के रूप में मुक्त करते रहते हैं यह क्रिया कोशिकाओं के अंदर होती रहती है इस क्रिया में ऊर्जा का संचार मुख्य क्रिया निभाता है।

# सभी जीवधारियों और जीव विज्ञान को परिभाषित करे।

1# श्वसन और ऊर्जा का स्थानांतरण (Respiration and Energy Exchange)

प्रत्येक जीवधारी में कोशिकीय स्तर पर ऑक्सीजन का उपस्थित होने तथा ऑक्सीजन को प्राप्त करना ही जैविक ऑक्सीकरण और इस क्रिया को  श्वसन कहते हैं।
जीवधारीयो और पादपो में सौर ऊर्जा द्वारा ली गई ऊर्जा से ग्लूकोस तथा उसके ऑक्सीकरण से कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनता है, और उनके भीतर बंदी ग्लूकोज की ऊर्जा धीरे-धीरे विभिन्न पदों में मुक्त होती रहती है और शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में संचारित होती है।

कोशिका अपने अंदर उर्जा को ATP (एडिनोसिन ट्राई फास्फेट) के रूप में संग्रहित कर लेता है यह इस प्रकार श्वसन क्रिया में ऊर्जा ग्लूकोस से ATP पर स्थानांतरित होता है।

C6 H12 O6 + 6CO2 ——- 6CO2 + 6H2O + 673 KCal ऊर्जा

एडिनोसिन ट्राई फास्फेट एक कार्बनिक यौगिक है जो ग्लूकोज की ऊर्जा को छोटे-छोटे अणु के रूप में विभाजित बनाते हैं और वह अणु शरीर के विभिन्न अंगो में जाकर ऊर्जा को शरीर में पहुंचाते हैं।

जब ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है तो उसके भीतर से मुक्त ऊर्जा फास्फेट अणु ग्रहण करके उच्च ऊर्जा वाले फास्फेट (~PO4) अणु बनती है जिसको ip से प्रदर्शित करते हैं यह अणु ADP से जुड़ा होता है और ATP अणु को बनाता है, यह ऊर्जा ATP को PO4 अणु के उच्च ऊर्जा वाले बंडलो में संचित होता है। आवश्यकतानुसार ATP (एडिनोसिन ट्राई फास्फेट) ADP (एडिनोसिन डाई फास्फेट ) में विघटित हो जाता है जिसे ADP1 एवं ATP चक्र कहते हैं.।

ADP + iP ———- ATP(ऊर्जा)
तथा
ATP ———- ADP + ip(ऊर्जा)

शरीर में गैसों का विनिमय फेफड़े के भीतर होता है, इस प्रकार गैसीय विनिमय धुली हुई अवस्था में या फिर विसरण प्रवणता (Diffusion Gradient) के आधार पर साधारण विसरण के द्वारा होता है।
शरीर के भीतर ऊर्जा का उपयोग होने के बाद ऑक्सीजन युक्त ऊर्जा से बदलकर कार्बन-डाइऑक्साइड वाले गैस ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है और यह ऊर्जा का आदान-प्रदान प्रत्येक दिन ऐसे ही होता रहता है।

इस आर्टिकल के मध्यम से जाने वास्तव मे जीव श्वसन (सांस) क्यो लेता है इसकी हमारे जीवन मे क्या उपयोगिता है। 

2# वासोच्छवास (Breathing)

वातावरण में उपस्थित वायुमंडल की शुद्ध वायु को फेफड़ों तक पहुंचाने तथा फेफड़ों में उपस्थित अशुद्ध वायु को फेफड़े से बाहर निकालने की इस पूरी प्रक्रिया को शवासोच्छवास कहते हैं इस क्रिया में बाहर से आई वायुमंडल और फेफड़ों के बीच गैसों का आदान-प्रदान होता रहता है।

मानव जीवधारीयो में श्वसन (Respiration) एक प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाओ को सम्मिलित रूप है जो मुख्य रूप से फेफड़ों के अंदर अपने कार्य के रूप में प्रदर्शित करता है यह दोनों रासायनिक और भौतिक क्रियाएं शरीर के भीतर कोशिकाओं में पहुंचकर भोजन में उपस्थित ऑक्सीजन को शरीर के भिन्न- भिन्न अंगों में जाकर ऑक्सीकृत करता है। परिणाम स्वरुप ऑक्सीकरण के कारण ऊर्जा मुक्त होती है शोषण एक अपाचे क्रिया है और उसमें लगातार जैव ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए खाद्य पदार्थ अपनी खपत करता रहता है यदि किसी कारणवश इस खाद्य पदार्थों की कमी होती है तो परिणाम स्वरुप शरीर में भर की कमी होती है और दूसरी और स्वशासन में वायुमंडल और फेफड़ों के बीच ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान में अवरुद्ध पैदा होता है।

1- शवासोच्छवास की यह क्रिया कोशिकाओं के बाहर होती है।
2- यह एक प्रकार की भौतिक क्रिया है जिसमें ऑक्सीजन युक्त शुद्ध वायु को लिया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वायु को शरीर से बाहर निकाला जाता है।
3- इस क्रिया को करने के लिए किसी एंजाइम की आवश्यकता नहीं होती है।
4- इसमें कभी ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती।

1- यह क्रिया माइटोकांड्रिया तथा कोशिकाओं के कोशिका द्रव में होती है।
2- यह एक प्रकार की जैव रासायनिक क्रिया है जिसमें ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोज के अंगों का ऑक्सीकरण होता है।
3- इस क्रिया में एंजाइम(Enzyem) की आवश्यकता होती है।
4- इस क्रिया ऊर्जा उत्पन्न होती है।

जीवधारी में फेफड़े के अंदर ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के गैसों( शुद्ध और अशुद्ध हवा) का विनिमय (आदान-प्रदान) उनके दाबो के समाजस्य के कारण होता है इन दोनों गैसों की मिश्रण की दिशा एक दूसरे के विपरीत होती है जिसके कारण हवा गैसों का आदान-प्रदान बराबर रूप से हो पता है।

फेफड़ों द्वारा यह एक अनैच्छिक क्रिया है जिसमें सांस(Respiration) का लेना और  वायु का अंदर प्रवेश करने के बाद संपूर्ण शरीर में रुधिर की पतली-पतली नसों के माध्यम से प्रत्येक अंग में पहुंचना तथा  पुन: वापस अशुद्ध रूप में वातावरण में चले जाना, यह प्रक्रिया दिन-रात जीवो में चलती रहती है और इस क्रिया को जीव-जंतु सोते या जागते समय करते रहते हैं यह क्रिया अनैच्छिक रूप से जीवन उपरांत कार्य करती रहती है।

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चलाये इसकी क्रिया विधि को समझे..

3# शवासोच्छवास की क्रिया विधि (Mechanism of Breathing)

शवासोच्छवास की क्रिया दो पदों मे पूरी होती है
1- निश्वसन
2- नि:श्वसन

  1. A. निश्वसन (Inspiration)

निश्वसन एक ऐसी क्रिया जिसके द्वारा वायुमंडल मे उपस्थित शुद्ध वायु फेफड़ों के भीतर पहुंचती है जिससे इस क्रिया में पसलियों से जुड़ी पेशियाँ संकुचित होती है और फलस्वरूप पसलियां आगे ऊपर की ओर उठ जाती हैं साथ ही डायाफ्राम की पेशियां के सिकुड़ने से डायाफ्राम अंदर की ओर चपटा हो जाता है मनुष्य में सांस लेने के समय डायाफ्राम नीचे की तरफ तथा पसलियां ऊपर की ओर खिसक जाती है जिसमें वृक्ष गुहा का आयतन बड़ा हो जाता है और फेफड़ों के भीतर वायु का दाब कम होने के कारण वायु फेफड़ों मे  प्रवेश करती है वायु के दाब को पूरा करने के लिए शुद्ध वायु ऑक्सीजन नासिका द्वारा श्वसन नलिका में प्रवेश करती है श्वसन (Respiration) नलिका से जाकर, यह फेफड़ों में भर जाती है। फेफड़ों के वायु कोष में भारी वायु को O2 (ऑक्सीजन)  रुधिर कोशिकाओं के संपर्क में आती हैं और विसरण द्वारा रुधिर में घुल जाती हैं साथ ही CO2 रुधिर से प्रासरण द्वारा वायु कोष में जाकर उन्हें फेफड़ों के माध्यम से नासिक रंधों के द्वारा बाहर निकल देती हैं।

  1. B. नि:श्वसन (Expiration)

नि:श्वसन एक ऐसी क्रिया जिसके द्वारा अशुद्ध वायु (कार्बन-डाइऑक्साइड) को फेफड़े से बाहर निकाला जाता है यह क्रिया निश्वसन के विपरीत होती है इस क्रिया में पसलियां एवं डायाफ्राम अपनी सामान्य स्थिति में वापस आ जाती हैं अर्थात वृक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है तथा फेफड़ों के भीतर दबाब बढ़ जाता है, जिस कारण डायाफ्राम ऊपर की तरफ जाने लगता हैं परिणामस्वरूप कार्बन-डाइऑक्साइड गैस हवा मे मिलकर शरीर द्वारा बाहर निकल दी जाती हैं।

4# निष्कर्ष

शरीर में श्वसन (Respiration) एक मुख्य क्रिया निभाता है इसमें उपस्थित ऊर्जा पूरे शरीर में विसर्जित होती है और इस क्रियाविधि को हमारे फेफड़ों किस प्रकार करते हैं तो निश्चित रूप से यह दिन-रात कार्य स्वयं रूप से करता रहता है इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना कि यह ऊर्जा के स्तर को कैसे शरीर में बनाये रखता है।

इस आर्टिकल मे जाने हृदय मे आलिंद- निलय का क्या काम है और यह किस प्रकार कार्य करता है।

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